सीजी भास्कर 8 अगस्त
नई दिल्ली। एयर इंडिया पर हाल ही में दायर की गई एक जनहित याचिका (PIL) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। याचिका में एयर इंडिया पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी और विमान हादसों के आरोप लगाए गए थे, जिस पर शीर्ष अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण पूरी एयरलाइन को बदनाम करना न्यायसंगत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछे तीखे सवाल:
सुनवाई के दौरान जस्टिसों की बेंच ने पूछा,
“अगर आप सुरक्षा मानकों को लेकर कोई सुधार चाहते हैं, तो सिर्फ एयर इंडिया को ही क्यों निशाना बना रहे हैं? देश की बाकी एयरलाइंस को क्यों नहीं शामिल किया गया?”
कोर्ट ने कहा, “हमें मालूम है कि एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि एयर इंडिया को लगातार बदनाम किया जाए या उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की मांग की जाए।”
याचिकाकर्ता की मंशा पर कोर्ट को संदेह:
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा,
“ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे यह याचिका किसी प्रतियोगी एयरलाइन के इशारे पर दाखिल की गई हो। अगर सभी एयरलाइनों की सुरक्षा में सुधार चाहिए, तो याचिका सभी पर लागू होनी चाहिए – सिर्फ एयर इंडिया पर नहीं।”
कोर्ट का सुझाव – “कंज्यूमर फोरम का रास्ता अपनाएं”
जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनका व्यक्तिगत अनुभव एयर इंडिया के साथ बेहद खराब रहा है, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“अगर आपको किसी विमान सेवा से शिकायत है, तो उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराएं। हम भी नियमित रूप से उड़ान भरते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हम PIL दायर कर दें।”
याचिका में क्या थीं मुख्य मांगें?
- सुरक्षा ऑडिट: एयर इंडिया के सभी विमानों की अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी से जांच कराना।
- पारदर्शिता: DGCA को सभी घटनाओं की सार्वजनिक रिपोर्टिंग व्यवस्था लागू करने का निर्देश देना।
- मुआवजा: अहमदाबाद की AI-171 दुर्घटना के पीड़ितों और AI-143 उड़ान के यात्रियों को मुआवजा देना।
कोर्ट ने क्यों खारिज की PIL?
कोर्ट ने माना कि याचिका में उठाए गए मुद्दे एकतरफा हैं और इसमें संतुलन की कमी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अगर याचिकाकर्ता वास्तविक सुधार चाहते हैं, तो वे विमानन नियामक एजेंसियों से संपर्क करें। कोर्ट तभी हस्तक्षेप करेगा जब अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई न हो।