सीजी भास्कर, 5 नवंबर। सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और निजी कंपनियों के संचालकों को स्पष्ट संदेश दिया है कि “डर के वातावरण में लिए गए निर्णय (Supreme Court PSU Decision Fear Verdict)” संस्थाओं के लिए घातक साबित हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर संचालक यह सोचकर हिचकिचाएँगे कि उनके फैसलों को भविष्य में नकारात्मक रूप से देखा जा सकता है या वे मुकदमेबाजी में उलझ जाएंगे, तो इससे नीतिगत गतिरोध और कार्यशैली में ठहराव पैदा होगा।
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एंग्लो अमेरिकन मेटलर्जिकल कोल प्राइवेट लिमिटेड (Supreme Court PSU Decision Fear Verdict) के पक्ष में दिए गए फैसले के दौरान की। अदालत ने सरकारी कंपनी एमएमटीसी लिमिटेड (MMTC Ltd.) की अपील को खारिज करते हुए कंपनी के खिलाफ लगभग 650 करोड़ रुपये की मध्यस्थता राशि (arbitration award) के प्रवर्तन को बरकरार रखा।
चालकों पर डर का माहौल अनुचित
जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने 2025 में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एमएमटीसी की याचिका पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने पहले ही सीपीसी की धारा 47 (Section 47 of CPC) के तहत एमएमटीसी की आपत्तियों को खारिज कर दिया था और एंग्लो अमेरिकन को जमा राशि ब्याज सहित निकालने की अनुमति दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमएमटीसी अपने वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला (Supreme Court PSU Decision Fear Verdict) भी साबित नहीं कर सका। जस्टिस विश्वनाथन ने 82 पृष्ठों के निर्णय में लिखा “चाहे सरकार हो, सार्वजनिक क्षेत्र के निगम हों या निजी क्षेत्र किसी भी संस्था की प्रेरक शक्ति वे लोग होते हैं जो उसका प्रशासन करते हैं। उनके दैनिक कार्यों में एक निश्चित गति का होना अनिवार्य है।
भय से निर्णय लेने की प्रवृत्ति से पैदा होता है नीतिगत ठहराव
कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि अधिकारी और संचालक यह सोचते रहें कि उनके निर्णयों की वर्षों बाद आलोचना होगी, तो यह नीतिगत और प्रशासनिक ठहराव को जन्म देगा। इससे सरकार या पीएसयू संस्थानों के भीतर “निर्णयहीनता (policy paralysis)” की स्थिति बनती है, जो सार्वजनिक हित के विरुद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक हैं, लेकिन भय के माहौल में निर्णय लेना “शासन की आत्मा को कमजोर” करता है।
एंग्लो अमेरिकन केस में सुप्रीम कोर्ट का रुख स्पष्ट
एंग्लो अमेरिकन मेटलर्जिकल कोल प्राइवेट लिमिटेड बनाम एमएमटीसी लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि मध्यस्थता अवार्ड का प्रवर्तन न्यायसंगत है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी संस्थाओं को निजी क्षेत्र की तरह व्यावसायिक जिम्मेदारी (commercial responsibility) निभानी चाहिए। इस फैसले से भविष्य में पीएसयू द्वारा “सुरक्षित खेल” (playing safe) की प्रवृत्ति पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
