सीजी भास्कर, 25 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Ramleela Case) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद जिले के टूंडला में स्कूल मैदान में रामलीला आयोजन पर रोक लगा दी गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्यक्रम पहले ही शुरू हो चुका है, इसलिए यह जारी रहेगा, लेकिन छात्रों की पढ़ाई और गतिविधियों में किसी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए।
कोर्ट ने उठाया सवाल
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि जब यह आयोजन पिछले सौ वर्षों से हो रहा है, तो फिर आखिरी समय पर अदालत का दरवाज़ा क्यों खटखटाया गया? कोर्ट ने इस पर यूपी सरकार, जिला प्रशासन और हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले पक्षकार को नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट का आदेश और विवाद
मामले की शुरुआत तब हुई जब इलाहाबाद हाईकोर्ट (Supreme Court Ramleela Case) में रिट याचिका दाखिल की गई। इसमें कहा गया कि टूंडला के जिला परिषद विद्यालय के मैदान का उपयोग शाम 7 से 10 बजे के बीच रामलीला के लिए किया जा रहा है, जिसके कारण छात्रों को खेलकूद के लिए मैदान नहीं मिल रहा। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद रामलीला पर रोक का अंतरिम आदेश जारी कर दिया।
स्थानीय नाराज़गी और तनाव
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को रामलीला का मंचन रोक दिया गया था। इससे स्थानीय लोगों में गुस्सा और तनाव फैल गया, क्योंकि उनका कहना था कि यहां एक सदी से भी अधिक समय से रामलीला का आयोजन परंपरा के रूप में होता आया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपरा और शिक्षा दोनों का संतुलन जरूरी है। अदालत (Supreme Court Ramleela Case) ने यह भी निर्देश दिया कि प्रशासन भविष्य में ऐसे मामलों में वैकल्पिक समाधान तलाशे, ताकि न तो छात्रों को नुकसान हो और न ही धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों में व्यवधान आए।
