12 मई 2025 :
Saran News: पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू-कश्मीर में सीमा पर तैनात बिहार के बेटे मोहम्मद इम्तियाज (Mohammad Imtiyaz) शहीद हो गए. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर सोमवार को बिहार की राजधानी पटना पहुंचा और उसके बाद वहां से सारण लाया गया. वहीं पार्थिव शरीर के उनके पैतृक गांव पहुंचते ही ग्रामीणों कीआखें नम हो गईं और लोग पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे. इससे पहले पटना पहुंचते ही तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
नेक दिल इंसान और मिलनसार स्वभाव के थे इम्तियाज
शहीद मोहम्मद इम्तियाज का पार्थिव शरीर जैसे ही सारण जिले के गड़खा प्रखंड के नारायणपुर पहुंचा, पूरे गांव में मोहम्मद इम्तियाज अमर रहें के नारे लगने लगे. शहीद मोहम्मद इम्तियाज के बारे में ग्रामीणों का कहना है कि वो एक नेक दिल इंसान और काफी मिलनसार स्वभाव के थे. वे एक माह पहले ईद के मौके पर घर आए थे. अपने शहीद जवान को देखने के लिए गांव में जन सैलाब उमड़ पड़ा. ग्रामीणों ने पूरे सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी.
लोगों ने बताया कि उनके छोटे भाई मो. मुस्तफा भी बीएसएफ में तैनात हैं और फिलहाल मेघालय में बांग्लादेश बॉर्डर पर ड्यूटी पर हैं. गांव वालों का कहना है कि इम्तियाजऔर मुस्तफा के घर का नाम भी बेहद खास है. दरअसल, उन्होंने अपने गांव में अपने घर का नाम ‘सीमा प्रहरी निवास’ रखा है. इस बीच शहीद के बेटे इमरान रजा और पत्नी अपने पति के जाने के गम में बदहवास दिखीं. घर वालों की आखों के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे हैं.
बेटे इमरान रजा ने पिता की शहादत पर क्या कहा?
बेटे इमरान रजा ने कहा कि “मेरे पिता बहुत मजबूत इंसान थे और मुझे उन पर बहुत गर्व है. 10 मई को सुबह 5:30 बजे उनसे बात की थी. ड्रोन हमले में उनके दाहिने पैर में चोट लग गई थी. यह आखिरी बार था जब मैंने उनसे बात की थी. सरकार को पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाना चाहिए और ऐसा मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए कि कोई बेटा अपने पिता से दूर न रह सके”
वहीं तमाम सरकारी रस्म की और गार्ड ऑफ ऑनर की आदायगी के बाद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान सीमा पर फायरिंग में शहीद मोहम्मद इम्तियाज को छपरा में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.