गुजरात के मेहसाणा जिले की गिलोसन ग्राम पंचायत में सरपंच पद पर निर्वाचित हुई लड़की की उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. चुनाव जीतने के करीब दस दिन बाद सामने आया कि विजेता उम्मीदवार की उम्र कानूनी मानदंडों के मुताबिक 21 वर्ष पूरी नहीं थी, जो सरपंच पद के लिए अनिवार्य है. दस्तावेजों की जांच में सामने आई यह चूक चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रही है. संबंधित अधिकारियों की लापरवाही को भी उजागर करती है. अब मामले की जांच जारी है और निर्वाचित सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.
गिलोसन गांव की नव-निर्वाचित सरपंच अफरोज परमार ने नामांकन पत्र में अपनी उम्र 21 वर्ष लिखी थी, लेकिन चुनाव परिणाम के करीब 10 दिन बाद जब दस्तावेजों की जांच हुई तो सामने आया कि उसकी वास्तविक उम्र 21 साल से कम है. उसकी स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट में जन्मतिथि 7 जनवरी 2005 दर्ज है, जबकि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड में यह तारीख 8 दिसंबर 2004 है. इन दोनों दस्तावेजों के आधार पर भी अफरोज की उम्र 21 वर्ष नहीं बनती.
इस चूक के बाद मेहसाणा TDO कार्यालय ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रांत अधिकारी उर्विष वालंद को सौंपी है. रिपोर्ट में दो चुनाव अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. तत्कालीन चुनाव अधिकारी नयन प्रजापति और सहायक चुनाव अधिकारी जिग्नेश सोलंकी ने नामांकन पत्र की जानकारी की ठीक से जांच नहीं की थी, जिससे यह उम्मीदवार अयोग्य होते हुए भी चुनाव लड़ी और विजयी भी घोषित कर दी गई.
गुजरात पंचायत चुनाव नियमों के अनुसार, किसी भी उम्मीदवार की उम्र चुनाव की तारीख तक 21 साल पूरी होनी चाहिए, लेकिन अफरोज परमार की उम्र अभी भी 6-7 महीने कम है. नामांकन फॉर्म भरते समय उम्मीदवार के द्वारा अपनी सही उम्र छुपाना और अधिकारियों द्वारा इसे सत्यापित न करना दोनों ही गंभीर गलतियां हैं.
अब सवाल है कि क्या इस चूक के चलते निर्वाचित सरपंच को अयोग्य घोषित किया जाएगा? प्रशासन इस पर विचार कर रहा है और नियमानुसार अगली कार्रवाई की जा सकती है. यदि अफरोज परमार को अयोग्य ठहराया गया, तो पंचायत में दोबारा चुनाव कराना पड़ेगा. प्रांत अधिकारी उर्विष वालंद ने पुष्टि की है कि दस्तावेजों और रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार निर्णय लिया जाएगा और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की जा रही है.