रायपुर, छत्तीसगढ़ | 5 अगस्त 2025
राज्य सरकार द्वारा ‘बिजली बिल हाफ योजना’ को सीमित करने का फैसला अब सियासी बवंडर का रूप ले चुका है। जहां एक तरफ कांग्रेस ने इस निर्णय को आम जनता के साथ अन्याय बताया है, वहीं बीजेपी ने इस बदलाव को “मुफ्त बिजली योजना की दिशा में बढ़ा कदम” बताया है।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में बिजली बिल हाफ योजना के तहत मिलने वाली छूट को 400 यूनिट से घटाकर अब 100 यूनिट तक सीमित कर दिया है। यानी अब सिर्फ उन्हीं उपभोक्ताओं को बिजली बिल में आधी छूट मिलेगी, जिनकी मासिक खपत 100 यूनिट या उससे कम है।
कांग्रेस का आरोप – “जनता से विश्वासघात”
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“साय सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्ग के हितों पर सीधा वार किया है। अब यदि कोई उपभोक्ता 101 यूनिट भी खर्च करता है, तो उसे पूरे 101 यूनिट का बिल भरना होगा, यानी छूट पूरी तरह खत्म।”
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस फैसले को “तुगलकी फरमान” बताते हुए कहा:
“यह जनता के साथ धोखा है। पहले 400 यूनिट तक की छूट मिलती थी, जिससे लाखों उपभोक्ताओं को राहत थी। अब यह लाभ सिर्फ गिने-चुने लोगों तक सीमित कर दिया गया है।”
कांग्रेस के अनुसार, उनके शासनकाल में लगभग 44 लाख उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ मिला था, जिससे हर परिवार को सालाना ₹40,000-₹50,000 की बचत होती थी।
कांग्रेस का ऐलान – प्रदेशभर में आंदोलन
कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन करने की घोषणा कर दी है। जल्द ही गांव-शहरों में धरना-प्रदर्शन और जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
भाजपा का जवाब – “70% उपभोक्ता अब भी लाभ में”
वहीं, भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा:
“अब भी राज्य के 70% उपभोक्ता यानी करीब 31 लाख परिवार इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। इनमें 15 लाख BPL परिवार भी शामिल हैं, जिन्हें पहले की तरह 30 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिल रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना को भी तेजी से लागू कर रही है, जिससे लोग रूफटॉप सोलर प्लांट लगाकर हर महीने 120 यूनिट बिजली खुद बना सकेंगे।
सोलर प्लांट से मिलेगा मुफ्त बिजली का विकल्प
- 1 किलोवाट सोलर प्लांट से हर महीने औसतन 120 यूनिट बिजली का उत्पादन
- सरकार दे रही है ₹1,08,000 तक की सब्सिडी
- उपभोक्ता को केवल ₹15,000 खर्च करना पड़ता है
इस योजना को लेकर सरकार का दावा है कि इससे उपभोक्ता खुद बिजली बनाएंगे और लंबी अवधि तक राहत मिलेगी।
सियासी गर्मी तेज
इस बिजली योजना के संशोधन ने चुनावी साल में एक नया मुद्दा खड़ा कर दिया है। कांग्रेस इसे जनता के अधिकारों पर हमला बता रही है, तो बीजेपी इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में बदलाव बता रही है।
आने वाले दिनों में यह मुद्दा कितना बड़ा बनता है, और जनता किसके पक्ष में खड़ी होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।