सीजी भास्कर, 31 अक्टूबर। समुद्री चक्रवात मोंथा के असर से प्रदेश में आई अनियमित बारिश और बढ़ी उमस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस बदलते मौसम ने (Tomato Crop Damage) टमाटर उत्पादक किसानों के लिए भारी संकट खड़ा कर दिया है। बारिश और नमी से उपजे उकठा रोग (बैक्टीरियल ब्लाइट) ने राज्य के कई इलाकों में करीब 20 हजार एकड़ में खड़ी टमाटर की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। यह रोग टमाटर की फसल के लिए सबसे घातक माना जाता है और कृषि विज्ञानियों के अनुसार इसका कोई प्रभावी उपचार अब तक उपलब्ध नहीं है।
राज्य के प्रमुख उत्पादक जिले दुर्ग और जशपुर में हर साल खरीफ सीजन में लगभग छह लाख टन टमाटर का उत्पादन होता है। इन जिलों से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार की मंडियों में टमाटर की आपूर्ति होती है। फसल के चौपट होने से आगामी सर्दी में देश के पूर्वी राज्यों में टमाटर के दामों में तेज बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है।
कृषि विज्ञानियों की राय
कृषि विज्ञानी डा. विजय जैन ने बताया कि उकठा रोग नमी और उच्च तापमान में तेजी से फैलता है। पौधों की जड़ों और तनों में संक्रमण फैलने से पूरी फसल कुछ ही दिनों में सूख जाती है। उन्होंने कहा कि इस रोग का स्थायी इलाज अभी तक विकसित नहीं हो सका है, इसलिए रोकथाम ही इसका एकमात्र उपाय है। (Tomato Crop Damage) की स्थिति को देखते हुए किसानों को सिंचाई और कीटनाशक छिड़काव पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है।
फल नहीं लग रहे, दवाई भी बेअसर
नागपुरा और आसपास के टमाटर उत्पादक किसानों ने बताया कि लगातार बारिश से पौधों में लगे फूल झड़ गए हैं, जिससे फल बन ही नहीं पा रहे हैं। जो फसलें पहले से लगी थीं, उनमें फलों पर दाग पड़ रहे हैं और पत्ते सूख रहे हैं। किसानों ने बताया कि बारिश रुक-रुककर जारी रहने के कारण दवा का छिड़काव संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे बीमारी लगातार बढ़ रही है।
प्रति एकड़ डेढ़ लाख रुपये का खर्च, अब बढ़ा कर्ज
किसानों ने बताया कि टमाटर की खेती में प्रति एकड़ लगभग 1.5 लाख रुपये का खर्च आता है। अच्छे उत्पादन की उम्मीद में किसानों ने कर्ज लेकर खेतों में टमाटर लगाया था, लेकिन फसल नष्ट हो जाने से अब कई किसान कर्ज के बोझ तले दब गए हैं। (Tomato Crop Damage) के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने लगा है।
मुआवजे की मांग के साथ सौंपा ज्ञापन
दुर्ग जिले के ग्राम परसुली (तहसील धमधा) के टमाटर उत्पादक किसान भागीरथी पटेल ने गुरुवार को कलेक्टर दुर्ग को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि उन्होंने 4.85 एकड़ में टमाटर की फसल लगाई थी, लेकिन लगातार बारिश और बीमारी के कारण पूरी फसल खराब हो गई।
उन्होंने कहा कि दवा का छिड़काव करने के बावजूद कोई असर नहीं हुआ और उन्हें करीब 12 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक, ननकठ्ठी शाखा से टमाटर खेती के लिए ऋण लिया था। अब प्रशासन से सर्वे कराकर फसल बीमा की राशि दिलाने की मांग की है।
