सीजी भास्कर, 6 अक्टूबर। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीले कफ सीरप (Toxic cough syrup) से किडनी फेल होने के कारण 16 बच्चों की मौत हो गई। इस घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ड्रग कंट्रोलर को हटाया और डिप्टी ड्रग कंट्रोलर सहित छिंदवाड़ा व जबलपुर के औषधि निरीक्षकों को निलंबित कर दिया है। आरोप है कि प्रदेश भर में कफ सीरप पर रोक न लगाने, समय पर सैंपलिंग नहीं करने और जांच रिपोर्ट में देरी के चलते लापरवाही बरती गई।
तमिलनाडु सरकार और मध्य प्रदेश औषधि प्रशासन की अलग-अलग जांच में कोल्ड्रिफ ब्रांड के कफ सीरप (Toxic cough syrup) में जहरीला रसायन डाइथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) की पुष्टि हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। सोमवार को मुख्यमंत्री छिंदवाड़ा पहुंचे और मृत बच्चों के स्वजन से भी मुलाकात कर आश्वासन दिया कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
16 बच्चों की दर्दनाक मौत
मामले की शुरुआत चार वर्षीय शिवम की मौत से हुई थी, जो चार सितंबर को कफ सीरप (Toxic cough syrup) पीने के बाद किडनी फेल होने से चल बसा। इसके बाद छिंदवाड़ा में 14 और बैतूल में 2 बच्चों की मौत हो गई। रविवार रात कोल्ड्रिफ सीरप लिखने वाले सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
कोल्ड्रिफ सीरप बनाने वाली तमिलनाडु की कंपनी ‘श्रीसन’ के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है। जांच में कंपनी की कांचीपुरम इकाई से सैंपल लिए गए, जिनमें डीईजी 48.6% और 46.20% पाया गया, जबकि मानक सीमा 0.1% से अधिक नहीं हो सकती। राज्य सरकार ने कंपनी के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
दो और कफ सीरप संदिग्ध
राज्य लैब की रिपोर्ट में दो और ब्रांड — रिलीफ कफ सीरप और रेस्पीफ्रेश-टीआर — में भी डीईजी की खतरनाक मात्रा पाई गई। मुख्यमंत्री ने तुरंत इनके पूरे स्टॉक को जब्त करने और कंपनियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई के आदेश दिए।
एनएचआरसी का हस्तक्षेप
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है। आयोग ने केंद्र सरकार, भारत के औषधि नियंत्रक जनरल और सीडीएससीओ को भी आदेश दिया है कि नकली दवाओं (Toxic cough syrup) की आपूर्ति की जांच की जाए और सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं से सैंपल लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।