सीजी भास्कर, 20 जून| Tracheoplasty Surgery India : पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टरों की टीम ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि समर्पण, विशेषज्ञता और सहयोग से किसी भी जटिल रोग का इलाज संभव है। …और यह सफलता एक ऐसे मरीज के इलाज में मिली, जिसे श्वासनली में जटिल संकुचन (Subglottic Stenosis) की समस्या थी। मरीज को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन (Tracheoplasty with Anterior Tracheal Wall Reconstruction) सर्जरी के माध्यम से नया जीवन मिला। यह दुर्लभ और जटिल सर्जरी ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और रेडियोडायग्नोसिस विभागों की संयुक्त टीम द्वारा सफलता पूर्वक की गई।
बिलासपुर निवासी 36 वर्षीय मरीज ने सबसे पहले सितंबर 2024 में सिम्स, बिलासपुर में असेंडिंग कोलोन परफोरेशन (Ascending Colon Perforation) की समस्या के लिए इलाज कराया। उपचार के लगभग 15 दिन बाद उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी, जिससे सितंबर 2024 में ट्रेकियोस्टॉमी करनी पड़ी। इसके दो महीने बाद ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब निकाली (Tracheoplasty Surgery India)गई और स्टोमा क्लोज़र कर दिया गया लेकिन छुट्टी के लगभग 15 दिन बाद ही मरीज को फिर से सांस लेने में परेशानी और बेचैनी होने लगी। जाँच में पाया गया कि उसे श्वासनली संकुचन (Tracheal Stenosis) हो गया है, जिसके बाद उसे रायपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
दो चरणों में की गई जटिल सर्जरी
रायपुर में 24 दिसंबर 2024 को डॉ. मान्या रॉय द्वारा री-डू ट्रेकियोस्टॉमी की गई और वायुमार्ग को पुनः स्थापित किया गया। सीईसीटी (CECT (Face + Neck))स्कैन में सामने आया कि मरीज की श्वासनली में 2.4 सेमी लम्बा नलिका संकुचन और 7 मिमी की पूर्ण स्टेनोसिस थी।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, 16 मई 2025 को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई जिसमें नाक के सेप्टल कार्टिलेज का उपयोग कर ट्रेकिया के सामने की दीवाल को बनाया गया। यह ऑपरेशन दो चरणों में सम्पन्न (Tracheoplasty Surgery India)हुआ, जिसमें शामिल रहे:
डॉ. दक्षेश शाह (एचओडी, प्लास्टिक सर्जरी, डीकेएस)
डॉ. वर्षा मुंगुटवार (प्रोफेसर, ईएनटी)
डॉ. मान्या रॉय(एसो. प्रो. ईएनटी), डॉ. प्रोनब (असि. प्रो. ईएनटी) एवं डॉ. सुमन दास (पीजी).
एनेस्थीसिया टीम : डॉ. जया लालवानी, डॉ. रश्मि नायक, डॉ. मंजू टंडन, डॉ. शाहिदा, डॉ. शशांक
रेडियोलॉजिस्ट : डॉ. विवेक पात्रे और डॉ. विभा पात्रे, जिन्होंने स्टेनोसिस के स्थान और आकार की सटीक पहचान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सर्जरी के बाद की रिकवरी
सर्जरी के बाद, 26 मई 2025 को मरीज की दोबारा समीक्षा की गई, जिसमें ओरल ईटी ट्यूब हटाने, नासिक इंटुबेशन और घाव बंद (Wound Closure) की प्रक्रिया की गई। अब मरीज बिना ट्रेकियोस्टॉमी के सामान्य रूप से सांस ले पा रहा है और पूर्णतः स्वस्थ है और अच्छे से बातचीत कर पा रहा है।
समर्पित टीम वर्क की जीत
सबग्लोटिक स्टेनोसिस एक जटिल और पुनरावृत्ति करने वाली स्थिति है, जिसका इलाज चुनौतीपूर्ण होता है। अक्सर सर्जरी के बाद भी यह पुनः हो सकता (Tracheoplasty Surgery India)है लेकिन इस केस में डॉ. दक्षेश शाह और डॉ. वर्षा मुंगुटवार के नेतृत्व में की गई सर्जरी से मरीज को पूर्ण रूप से राहत मिली है।
अब वह नियमित फॉलोअप पर है और एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी रहा है। यह सफलता चिकित्सा जगत में रायपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।