सीजी भास्कर 30 जुलाई
नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच बढ़ते तेल व्यापार पर अमेरिका ने अब सख्त रवैया अपनाते हुए बड़ा फैसला ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा कर दी है। यह कार्रवाई 1 अगस्त की तय समय सीमा से पहले ही लागू कर दी गई है, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में नए तनाव के संकेत मिल रहे हैं।
क्यों लगी टैरिफ की मार?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत, रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीदकर अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की “धज्जियां उड़ा रहा है”। बीते तीन वर्षों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप और अमेरिका ने रूस के तेल और गैस व्यापार पर सख्त रोक लगा रखी है। लेकिन भारत ने, अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हुए, लगातार रूस से कच्चा तेल आयात जारी रखा।
ट्रंप का तीखा बयान
राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ लागू करते हुए कहा,
“हम भारत के साथ मित्रवत संबंध चाहते हैं, लेकिन अगर कोई अमेरिका के विरोधी के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करेगा, तो उसे उसका आर्थिक परिणाम भुगतना पड़ेगा।”
भारत पर भारी जुर्माना भी
केवल टैरिफ ही नहीं, बल्कि अमेरिका ने भारत पर भारी आर्थिक दंड (पेनल्टी) भी लगाया है, जिसकी रकम और शर्तें जल्द ही स्पष्ट की जाएंगी। जानकारों के अनुसार, यह जुर्माना भारतीय कंपनियों और आयातकों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
क्या होगा भारत पर असर?
भारत के लिए यह फैसला दोहरी मार जैसा है। एक तरफ अमेरिका के साथ व्यापार महंगा और जटिल हो जाएगा, दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ेगा।
हालांकि भारत सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।