सीजी भास्कर 28 नवंबर, कर्नाटक के उडुपी में गुरुवार का दिन आध्यात्मिक उल्लास से भरा रहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Udupi Krishna Math Event में शामिल हुए। श्री कृष्ण मंदिर के सामने बने नवीन सुवर्ण तीर्थ मंडप का उन्होंने विधिवत उद्घाटन किया। खास बात यह रही कि इसके साथ कनकना किंडी के लिए स्वर्ण कवच (Kanaka Kavacha) भी समर्पित किया गया—वह वही पवित्र खिड़की है, जहां से संत कनकदास को श्रीकृष्ण के दिव्य दर्शन हुए थे।
800 वर्ष से अधिक पुरानी परंपरा
श्री माधवाचार्य की स्थापना वाला पवित्र मठ
श्री कृष्ण मठ, जिसकी स्थापना लगभग 800 वर्ष पहले द्वैत वेदांत दर्शन के आचार्य श्री माधवाचार्य ने की थी, इस दिन एक अलग ही सांस्कृतिक रंग में डूबा हुआ दिखाई दिया। Udupi Krishna Math Event के दौरान जगद्गुरु श्री श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने प्रधानमंत्री का सम्मान करते हुए उन्हें संस्कृत में “भारत का भाग्य-विधाता” कहा, और पूरा प्रांगण मंत्रोच्चार में गुंजायमान हो उठा।
एक लाख लोगों का सामूहिक गीता-पाठ
महाभारत कालीन संदेश का आधुनिक युग में प्रत्यक्ष अनुभव
कार्यक्रम का सबसे हृदयस्पर्शी क्षण तब आया, जब एक लाख से अधिक लोगों ने एकसाथ गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ किया। वातावरण में उठती ध्वनि ऐसी प्रतीत हो रही थी, मानो सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा आज फिर से जीवंत हो उठी हो। प्रधानमंत्री ने इसे “भारत की दिव्यता का साक्षात अनुभव” बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि ठीक तीन दिन पहले वे कुरुक्षेत्र में थे—जहां गीता का ज्ञान स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था—और इस संगति ने उस अनुभूति को और सशक्त कर दिया।
नीति और आध्यात्मिकता का संगम
‘सबका साथ-सबका विकास’ का मूल भगवान कृष्ण के उपदेशों में
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि देश की कई प्रमुख नीतियों की प्रेरणा श्रीकृष्ण के श्लोकों से मिलती है।
“गरीबों की सहायता” का मंत्र—आयुष्मान भारत और पीएम आवास जैसी योजनाओं में दिखाई देता है।
“नारी सुरक्षा और नारी सशक्तीकरण”—इसी प्रेरणा पर देश ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
इस दौरान उनके भाषण में कई स्थानों पर स्पष्ट था कि Udupi Krishna Math Event केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सिद्धांतों और प्रशासनिक दृष्टिकोण का प्रतीक बन चुका है।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
वसुधैव कुटुम्बकम से लेकर सुदर्शन चक्र तक
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान कृष्ण की शिक्षाएं देश की विदेश नीति से लेकर वैश्विक साझेदारियों तक में दिखाई देती हैं।
“वसुधैव कुटुम्बकम”—यही विचार वैक्सीन मैत्री जैसी अभियानों में झलकता है।
“सत्य और शांति की स्थापना”—यही भाव सोलर अलायंस और कई वैश्विक मिशनों का मार्गदर्शक है।
उन्होंने यह भी कहा कि जैसे गीता युद्धभूमि में सत्य की रक्षा का संदेश देती है, वैसे ही राष्ट्र की सुरक्षा नीति भी करुणा और दृढ़ संकल्प—दोनों संतुलनों पर आधारित होती है।
परंपरा, आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम
उडुपी के इस कार्यक्रम ने साधकों और नागरिकों दोनों को जोड़ा
पूरा कार्यक्रम इस बात का प्रमाण रहा कि भारत की आध्यात्मिक विरासत आज भी समाज को प्रेरणा, संतुलन और दिशा देने का काम करती है। चाहे कनक कवच का समर्पण हो, सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन, या एक लाख लोगों का सामूहिक गीता-पाठ—हर घटक अपने आप में एक स्मरणीय अध्याय बन गया है।
