सीजी भास्कर, 24 जुलाई |
बस्तर, छत्तीसगढ़।
भारत विविधताओं और परंपराओं से भरा देश है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल की यह परंपरा आपको हैरान कर देगी। यहां शादी की तैयारियों में सिर्फ रिश्तेदारों को ही नहीं, बल्कि पूर्वजों की आत्माओं को भी न्योता भेजा जाता है।
यह रिवाज़ अबूझमाड़ और आसपास के कई आदिवासी गांवों में सदियों से निभाया जा रहा है। आदिवासी समाज का मानना है कि पूर्वजों की आत्माएं उनके घरों में आज भी वास करती हैं और वे हर शुभ-अशुभ कार्य में आशीर्वाद देती हैं।
“आना कुड़मा” – आत्माओं का घर
बस्तर के इन गांवों में हर घर में एक विशेष कमरा या स्थान होता है जिसे “आना कुड़मा” कहा जाता है। यहां मिट्टी की एक हांडी रखी जाती है जिसमें पूर्वजों की आत्माओं का वास माना जाता है। यह हांडी किसी मंदिर से कम नहीं मानी जाती।
इस पवित्र स्थान में केवल पुरुषों को प्रवेश की अनुमति होती है। यहां प्रतिदिन पूजा होती है, और किसी भी बड़े आयोजन से पहले आत्माओं से अनुमति ली जाती है।
शादी से पहले आत्माओं को बुलाना अनिवार्य
जब किसी घर में विवाह तय होता है, तो सबसे पहले “आना कुड़मा” में विशेष पूजा की जाती है। परिवारजन पूर्वजों की आत्माओं से आशीर्वाद मांगते हैं और उन्हें विवाह समारोह में शामिल होने का निमंत्रण देते हैं।
स्थानीय मान्यता है कि अगर यह रस्म नहीं निभाई गई, तो विवाह में बाधाएं आ सकती हैं या परिवार को संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
बिना चढ़ावा कोई काम शुरू नहीं होता
न सिर्फ शादी, बल्कि नई फसल की कटाई, नया मकान, या कोई भी बड़ा निर्णय – आत्माओं को चढ़ावा चढ़ाए बिना कुछ भी आरंभ नहीं किया जाता। यह विश्वास है कि आत्माएं ही गांव की रक्षा करती हैं और उन्हें अनदेखा करने से दुर्भाग्य आ सकता है।
सिर्फ श्रद्धा नहीं, सामाजिक संतुलन का प्रतीक भी हैं ये परंपराएं
बस्तर की यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने का भी हिस्सा है। यह लोगों को उनके पूर्वजों से जोड़ती है और समुदाय में एकता और संरक्षण की भावना को मजबूत करती है।