सीजी भास्कर 1 दिसम्बर UP Metro Expansion : उत्तर प्रदेश में शहरी परिवहन को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।
राज्य सरकार अब लखनऊ और कानपुर जैसे मेट्रो शहरों की तर्ज पर उन जिलों में भी मेट्रो सेवा पहुंचाने की तैयारी कर रही है, जहां अब तक लोगों ने इस सुविधा की कल्पना ही की थी।
सरकार का यह मॉडल सिर्फ परिवहन का विस्तार नहीं, बल्कि शहरों को आने वाले दशक की जरूरतों के अनुसार ढालने की रणनीति भी है।
2047 तक लखनऊ और कानपुर में विशाल नेटवर्क
“Future-ready transport” की अवधारणा को आधार बनाते हुए आने वाले वर्षों में लखनऊ में 225 किलोमीटर, कानपुर में 200 किलोमीटर और आगरा में 100 किलोमीटर तक मेट्रो लाइन के विस्तार की योजना तैयार की गई है।
अधिकारियों के अनुसार, इस विस्तार के पूरा होने के बाद इन शहरों में रोजाना यात्रा करने वालों की संख्या कई गुना बढ़ेगी और सड़क यातायात पर भी बड़ा असर पड़ेगा।
UP Metro Expansion : वित्तीय ढांचा और समय-सीमा—मॉडल बदलेगा परिवहन का चेहरा
इन परियोजनाओं को ऐसे वित्तीय ढांचे पर तैयार किया जा रहा है, जिसमें 50% लागत सरकारों की इक्विटी, जबकि बाकी राशि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से ऋण के रूप में प्राप्त होगी।
परियोजनाओं के अनुमानित खर्च के अनुसार, तीनों प्रमुख शहरों के विस्तार के लिए हर वर्ष लगभग 1,040 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
एक परियोजना को पूरा होने में लगभग पांच वर्ष का समय लगना स्वाभाविक माना गया है, और इस समय-सीमा को ध्यान में रखकर ही निर्माण चरणों को विभाजित किया गया है।
1,575 KM का राज्यव्यापी मेगा नेटवर्क
यूपी के कई बड़े शहरों में 150-150 किमी के कॉरिडोर प्रस्तावित हैं—जैसे नोएडा-ग्रेटर नोएडा, वाराणसी और प्रयागराज।
वहीं गोरखपुर, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, झांसी, अलीगढ़, अयोध्या और मथुरा-वृंदावन में लगभग 50-50 किलोमीटर के नेटवर्क का ब्लू-प्रिंट तैयार किया गया है।
कुल 1,575 किमी के इस मेगा कॉरिडोर में से 790 किमी का निर्माण 2035 तक पूरा किया जाना लक्ष्य है।
(UP Metro future corridor)
UP Metro Expansion : भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क
यूपी के तेजी से मेट्रोयुक्त होने का असर राष्ट्रीय स्तर पर भी दिख रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है और विस्तार की गति इसी तरह जारी रही तो जल्द ही यह अमेरिका को पीछे छोड़कर दूसरे स्थान पर पहुंच सकता है।
लखनऊ, कानपुर और आगरा में चल रही मेट्रो सेवाएं लगातार लाभ में हैं और टियर-2 शहरों में ऑपरेशन एफिशिएंसी का नया मानक स्थापित कर रही हैं।
कनेक्टिविटी और सुविधाओं में बड़ा सुधार
राज्यभर में मेट्रो नेटवर्क को मजबूती देने के लिए ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) नीति बड़े पैमाने पर लागू की जा रही है।
“Last-mile connectivity” को बेहतर बनाने के लिए राइड-शेयरिंग सेवाओं से समझौते किए जा रहे हैं और हर स्टेशन पर पार्किंग स्ट्रक्चर्स का विस्तार तेज़ी से चल रहा है।
इससे न सिर्फ यात्रियों को सुविधा मिलेगी बल्कि शहरों में भीड़, प्रदूषण और ट्रैफिक प्रेशर भी घटेगा।
इसी आधार पर यूपी को “भविष्य के शहरी परिवहन मॉडल” के तौर पर देखा जा रहा है।
