सीजी भास्कर, 14 अगस्त : भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा के बाद विष्णु देव साय कैबिनेट विस्तार को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट तेज हो गई है। दरअसल, भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने मंगलवार को राज्यपाल रमेन डेका से मुलाकात कर राजनीतिक गलियारों में अटकलों को और हवा दे दी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि 15 अगस्त के बाद कभी भी राज्य में मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। पार्टी सूत्रों ने भी यह संकेत दिए हैं कि साय मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी चल रही है।
हरियाणा फार्मूले पर होगा छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल का विस्तार
सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में हरियाणा फार्मूला लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि हरियाणा और छत्तीसगढ़ दोनों ही राज्यों में 90-90 विधानसभा सीटें हैं। हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में 13 मंत्रियों ने शपथ ली थी, यानी कुल 14 सदस्यीय कैबिनेट बनाई गई। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ 10 मंत्री हैं। हरियाणा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी यह फार्मूला लागू किया जाता है तो दो से तीन नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है।
खुशवंत और संपत सबसे मजबूत दावेदार
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जिन चेहरों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, उनमें सामाजिक और जातिगत संतुलन का पूरा ध्यान रखा गया है। रायपुर जिले के आरंग विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए गुरु खुशवंत साहेब का नाम मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है। कहा जा रहा है कि अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। वे लंबे समय से संगठन के भरोसेमंद चेहरों में गिने जाते हैं। वहीं बसना विधायक संपत अग्रवाल का नाम दूसरे स्थान पर है। अनारक्षित वर्ग से आने वाले संपत अग्रवाल को संभावित रूप से विधायक से सांसद बने बृजमोहन अग्रवाल के स्थान पर मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
अन्य संभावित नामों की भी चर्चा
इससे पहले जिन नामों की चर्चा मंत्री पद के लिए हो रही थी, उनमें रायपुर से पूर्व मंत्री रहे राजेश मूणत के साथ पहली बार विधायक बने पुरंदर मिश्रा, सुनील सोनी, बिलासपुर से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, दुर्ग से गजेंद्र यादव शामिल हैं। हालांकि अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान के निर्देश पर ही होगा।
राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद
भाजपा नेतृत्व जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार करना चाह रही है। घोषित प्रदेश कार्यकारिणी में भी इसी रणनीति की झलक देखने को मिली है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि साय मंत्रिमंडल में किन चेहरों को जगह मिलती है और भाजपा आगामी स्थानीय चुनावों के लिए क्या संदेश देना चाहती है।