सीजी भास्कर, 10 अगस्त : छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों साय कैबिनेट के मंत्रीमंडल विस्तार (Sai Cabinet expansion) को लेकर चर्चाएं तेज हैं। मंत्री बनने की रेस में शामिल विधायक एप्रोच और लॉबिंग में सक्रिय हो चुके हैं। भाजपा संगठन के भीतर अटकलें लगाई जा रही थीं कि 10 अगस्त को मंत्रियों की सूची जारी हो सकती है, लेकिन फिलहाल कैबिनेट विस्तार में देरी तय है। वजह यह है कि प्रदेश के राज्यपाल रमेन डेका विदेश प्रवास पर हैं। वे 14 अगस्त को लौटेंगे, जिसके बाद उनसे समय लेकर मंत्रीमंडल विस्तार की अंतिम तिथि तय की जाएगी।
(Sai Cabinet expansion) दो मंत्री पद फिलहाल खाली
भाजपा सरकार को बने 1 साल 7 महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन साय कैबिनेट का गठन अभी भी पूर्ण नहीं हुआ है। कैबिनेट के गठन के समय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय समेत 12 मंत्री शामिल थे, जबकि परंपरा के अनुसार प्रदेश में 13 मंत्रियों का होना सामान्य है। इस तरह, शुरुआत से ही एक पद खाली रहा। बाद में लोकसभा चुनाव के दौरान मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद मंत्रियों की संख्या घटकर 11 रह गई। इस समय साय कैबिनेट में कुल दो मंत्री पद रिक्त हैं, जिन पर नियुक्ति को लेकर राजनीतिक गतिविधियां जोरों पर हैं।
दावेदारों में तेज हुई लॉबिंग
इन दो खाली पदों के लिए आठ से अधिक विधायक दावेदारी पेश कर चुके हैं और सक्रिय लॉबिंग कर रहे हैं। पार्टी के भीतर चर्चा है कि अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, गजेंद्र यादव, गुरु खुशवंत साहेब और राजेश अग्रवाल में से तीन नामों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि वर्तमान के एक मंत्री को कैबिनेट से बाहर कर नई जिम्मेदारी दी जा सकती है।
संसदीय सचिवों की नियुक्ति भी संभावित
मंत्रिमंडल विस्तार (Sai Cabinet expansion) के साथ-साथ भाजपा सरकार अगस्त में संसदीय सचिवों और रिक्त निगम-मंडल अध्यक्षों की भी नियुक्ति कर सकती है। इसमें वरिष्ठ और कनिष्ठ विधायकों के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर रहेगा। संसदीय सचिव नियुक्त करने की परंपरा भाजपा शासनकाल में डॉ. रमन सिंह के समय शुरू हुई थी, जिसका उस समय कांग्रेस ने विरोध किया था और इसे ‘मिनी कैबिनेट’ बताते हुए असंवैधानिक करार दिया था। हालांकि, सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल सरकार ने भी इस परंपरा को जारी रखा और 13 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया। अब साय सरकार भी इन पदों को भरने की तैयारी में है।
पूर्व सीएम ने उठाई थी संसदीय कार्य मंत्री की मांग
विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले मंत्रिमंडल विस्तार की राजनीतिक हलचल और बढ़ गई थी। 7 जुलाई 2025 को रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आमने-सामने आए थे। मीडिया से बातचीत में बघेल ने खुलासा किया था कि उनकी सीएम साय से अनौपचारिक चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री नियुक्त करने का सुझाव दिया। बघेल का कहना था कि विधानसभा की कार्यवाही को सुचारू और व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए इस पद की मौजूदगी जरूरी है।