मुंबई, 21 जुलाई 2025:
आज भले ही कटरीना कैफ बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेज़ में गिनी जाती हैं, लेकिन उनका यह मुकाम हासिल करने का सफर आसान नहीं रहा। करियर की शुरुआत में हिंदी और एक्टिंग दोनों में पकड़ कमजोर थी। उनकी पहली फिल्म ‘बूम’ (2003) बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही और इसके बाद बॉलीवुड में उन्हें काम मिलना भी मुश्किल हो गया।
इसी दौरान कटरीना ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया और साउथ फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। यही निर्णय उनके करियर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
‘मल्लिसवरी’ बनी करियर की गेमचेंजर
साल 2004 में रिलीज़ हुई तेलुगु फिल्म ‘मल्लिसवरी’ में कटरीना कैफ ने साउथ के सुपरस्टार दग्गुबाती वेंकटेश के साथ स्क्रीन शेयर की। फिल्म का निर्देशन के. विजय भास्कर ने किया था और इसमें कोटा श्रीनिवास राव, ब्रह्मानंदम और सुनील जैसे दिग्गज कलाकार भी नजर आए।
इस फिल्म की सबसे खास बात थी – कटरीना की फीस। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कटरीना को इस फिल्म के लिए ₹75 लाख रुपये दिए गए थे, जो उस समय किसी भी साउथ एक्ट्रेस को मिलने वाली सबसे बड़ी रकम थी। इसी के साथ वह बन गईं साउथ की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस।
एक्टिंग से भी जीता दिल
फिल्म मल्लिसवरी में कटरीना के अभिनय को ना सिर्फ दर्शकों ने सराहा, बल्कि उन्हें साउथ फिल्मफेयर अवॉर्ड में बेस्ट एक्ट्रेस की कैटेगरी में नॉमिनेशन भी मिला। इस फिल्म की सफलता ने कटरीना को इंडस्ट्री में एक नई पहचान दी।
साउथ की दूसरी फिल्में भी कीं
कटरीना ने मल्लिसवरी की सफलता के बाद भी साउथ सिनेमा से रिश्ता बनाए रखा।
- साल 2005 में उन्होंने नंदमुरी बालकृष्ण के साथ ‘अल्लारी पिदुगु’ में काम किया।
- फिर 2006 में वह एक मलयालम फिल्म में भी नजर आईं, जिसने उनके फैनबेस को और भी मजबूत कर दिया।
बॉलीवुड में वापसी और फिर बुलंदी
साउथ में अनुभव लेने के बाद कटरीना ने धीरे-धीरे बॉलीवुड में अपनी वापसी की। ‘सरकार’, ‘नमस्ते लंदन’, ‘वेलकम’, ‘राजनीति’ और ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ जैसी फिल्मों ने उन्हें इंडस्ट्री की लीडिंग लेडी बना दिया।