बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान हाल ही में कॉलेजों में ड्रा सिस्टम के जरिए प्रिंसिपल चुने जाने के फैसले को लेकर चर्चा मे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ अब केरल हाईकोर्ट ने आरिफ मोहम्मद खान के एक पुराने फैसले को गलत ठहराया है. इसके साथ ही दो विश्वविद्यालयों में अस्थायी कुलपतियों की एकतरफा नियुक्ति को रद्द कर दिया है.
हाईकोर्ट ने पाया कि राज्यपाल ने विश्वविद्यालय अधिनियमों और यूजीसी नियमों का उल्लंघन किया है. नियुक्तियों को प्रक्रियागत त्रुटियों के कारण अवैध पाया गया है. कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्यपाल से नियमों के अनुसार रिक्त पदों को भरने का आह्वान किया है. विश्वविद्यालयों के स्वायत्तता और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए, त्वरित कार्रवाई करने पर जोर भी दिया गया है.
राज्यपाल को कुलपति की नियुक्ति का अधिकार नहीं- HC
केरल हाईकोर्ट की एक बेंच ने सोमवार को राज्यपाल की तरफ से की गई दो अस्थायी कुलपति (वीसी) नियुक्तियों को रद्द करने के एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा है. डॉ. के. शिवप्रसाद को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (केटीयू) का अस्थायी कुलपति और डॉ. सीज़ा थॉमस को केरल डिजिटल विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डिजिटल विश्वविद्यालय) का अस्थायी कुलपति नियुक्त किया गया था.
कोर्ट ने पाया कि कुलाधिपति के रूप में कार्यरत पूर्व राज्यपाल को संबंधित विश्वविद्यालय अधिनियमों या यूजीसी विनियमों के तहत कानून द्वारा निर्धारित ढांचे के बाहर एकतरफा अस्थायी कुलपति नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं था. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने पूरी प्रक्रिया को ही दरकिनार किया था. कोर्ट ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि कुलाधिपति को एक्सटेंशन जैसी अधिसूचना जारी का कोई अधिकार नहीं है.
राज्य सरकार ने दी थी फैसले को चुनौती
इन नियुक्तियों के खिलाफ राज्य ने तर्क दिया कि राज्यपाल की तरफ से की गई नियुक्तियां मनमाने ढंग से की गयी थी. इसके साथ ही अधिनियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करती थीं, जिनमें कुलपतियों की अस्थायी नियुक्तियों के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित की गई थी. राज्य सरकार के साथ अनिवार्य परामर्श और राज्य की तरफ से की गई सिफारिशों के आधार पर कुलपति का चयन शामिल था.
कोर्ट ने नियुक्ति को लेकर दिया साफ आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 254, जो केंद्र और राज्य के कानूनों के बीच असंगति से संबंधित है, यहां लागू नहीं होता है. हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य के कानूनों को भी यूजीसी विनियमों के व्यापक उद्देश्यों और मानकों के अनुरूप लागू किया जाना चाहिए. कुलपति के पद पर नियुक्ति, चाहे वे नियमित हों या अस्थायी, यूजीसी विनियमों के खंड 7.3 में निर्धारित मानदंडों का कड़ाई से पालन करना चाहिए.