सीजी भास्कर, 26 सितंबर। दो दिन के अंदर बिहार राज्य के 16 जिलों में अलग-अलग घटनाओं में अब तक 43 लोगों की डूबने से मौत हो गई है। मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रूपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।
आपको बता दें कि जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी के कुछ हिस्से में होता है। महिलाएं इस दिन अपनी संतान की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए 24 घंटे तक बिना कुछ खाए-पिये व्रत रखती हैं। इसमें भगवान जीमूतवाहन की विधिपूर्वक पूजा होती है। व्रत के दिन सुबह उठकर नहाने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है। घर के मंदिर में एक थाली में सूर्य नारायण की मूर्ति को स्थापित किया जाता है। उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। भगवान को दीपक और धूप अर्पित करके उनको भोग लगाकर आरती करते हैं।
जिउतिया पर्व के दौरान बिहार के अलग-अलग जिलों की नदी और तालाब में 24 और 25 सितंबर को डूबने की अलग-अलग घटनाओं में हुईं कुल 43 मौतों में सर्वाधिक 10 मौतें औरंगाबाद जिले में हुई हैं। यहां दो अलग-अलग घटनाओं में 8 बच्चे डूब गए हैं। मरने वालों का आंकड़ा बढ़ भी सकता है क्योंकि अभी कई लोग लापता हैं। इन्हें खोजने का काम जारी है। औरंगाबाद जिले के बारुण थाना क्षेत्र के ईटहट में 5 किशोरी व्रती महिलाओं के साथ तालाब में नहाने गई थीं। महिलाएं स्नान कर पास के मंदिर में पूजा करने चली गईं। किशोरियां नहाती रहीं। इसी दौरान एक किशोरी निशा डूबने लगी। उसे बचाने सगी बहन अंकू गई, वह भी डूबने लगी। दोनों को डूबता देख बाकी किशोरियां आगे बढ़ीं। सूचना पर स्थानीय लोग पहुंचे। उन्हें बचाने के लिए तालाब में कूदे। तब तक चार की डूबने से मौत हो गई। दूसरी घटना औरंगाबाद के ही मदनपुर के कुशहा गांव की है। यहां भी जिउतिया में नहाने के दौरान हादसा हुआ। महिलाएं जौ बुन रहीं थीं, इसी दौरान 18 बच्चे आहर में नहाने लगे। सभी डूबने लगे। 14 बच्चों को लोगों ने बचा लिया
लेकिन 4 डूब गए। ग्रामीणों का आरोप है कि आहर की खुदाई के दौरान एक जगह गहरा गड्ढा कर दिया गया था, उसी में 3 बच्चियां और एक बच्चा डूब गया। दो बच्चियां डूबी हैं लेकिन उनके शव नहीं मिले हैं। इसी तरह छपरा, भोजपुर, गोपालगंज सहित अन्य जिलों में भी डूबने और शव मिलने के कुल 43 मामले सामने आए हैं।