सीजी भास्कर, 27 अक्टूबर। पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के मामले में आज संबंधित पुलिस निरीक्षक समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट में पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में विपक्ष की आपत्ति बाद भाजपा सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए इंस्पेक्टर सहित कई लोगों पर मुकदमा दर्ज के आदेश दिए हैं।
गौरतलब हो कि समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि पुलिस हिरास’ का नाम बदलकर अत्याचार गृह कर दिया जाना चाहिए।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि चिनहट के जैनाबाद निवासी मोहित कुमार (30 वर्ष) को पुलिस ने शनिवार को एक मामले में हिरासत में ले लिया था। उसी दिन हिरासत में ही मोहित की तबियत खराब हो गयी, जिसके बाद मोहित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और बाद में उच्चतर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने पुलिस पर मोहित की हत्या का आरोप लगाते हुए धरना-प्रदर्शन किया।
विभूति खंड के सहायक पुलिस आयुक्त राधारमण सिंह ने बताया कि इस मामले में मृतक मोहित की मां की शिकायत पर चिनहट थाने के निरीक्षक अश्विनी चतुर्वेदी और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इस मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि मोहित की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टरों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। इस बीच घटना का एक सीसीटीवी फुटेज भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें मोहित हवालात में लेटा हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मोहित को हिरासत में इतना पीटा कि उसकी मौत हो गयी और खुद को बचाने के लिए जानबूझकर वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा लीक किया गया है।
मोहित के भाई शोभाराम ने कहा कि उसे भी पुलिस ने हिरासत में लिया था बाद में उसे छोड़ दिया गया। उसने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसके भाई को उसके सामने बेरहमी से पीटा और वह कुछ नहीं कर सका। मोहित की मौत के बाद पुलिसकर्मी उसे अस्पताल ले गये।
सपा नेता अखिलेश ने घटना को लेकर ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा कि ”उत्तर प्रदेश की राजधानी में पिछले 16 दिनों में पुलिस हिरासत में मौत (हत्या पढ़ा जाए) का दूसरा समाचार मिला है। नाम बदलने में माहिर सरकार को अब ‘पुलिस हिरासत’ का नाम बदलकर ‘अत्याचार गृह’ रख देना चाहिए। पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी की जाए, हम उनके साथ हैं।