13 मार्च 2025 :
आज देशभर में होलिका दहन मनाई जाएगी। होलिका दहन के लिए लोगों ने तैयारी कर ली है। लेकिन अभी भी कई लोगों के मन में कन्फ्यूजन बना है कि आखिर होलिका दहन का सही समय कब है? इसके अलावा होली को लेकर भी लोग कन्फ्यूज हैं कि होली कब मनाई जाएगी। तो ज्योतिष आचार्य ने अब सारी कन्फ्यूजन दूर कर दी है।
होलिका दहन 13 मार्च और होली 15 मार्च को मनेगी। फाल्गुन पूर्णिमा दो दिन होने से होलिका दहन के एक दिन बाद होली मनेगी। फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च और स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च को होगी। 15 मार्च को होली का पर्व काशी को छोड़ कर सभी जगह मनेगी।
काशी में होलिका दहन के एक दिन बाद 14 मार्च को होली मनेगी। ज्योतिष आचार्य डा. राजनाथ झा पंचांगों के हवाले से बताया कि 13 मार्च की रात पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी। भद्रा भी रात 10.47 बजे खत्म होगा। इसके बाद होलिका दहन होगा।
14 मार्च को स्नान-दान की पूर्णिमा, कुलदेवता को सिंदूर अर्पण किया जाएगा। 15 मार्च को भस्म धारण और होली मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि पर शिव वास योग के साथ बव करण योग का संयोग बना रहेगा। ऐसे में भगवान शिव व विष्णु का पूजन शुभ फल देने वाला होगा।
भद्रा में होलिका दहन करना सही नहीं
शास्त्रों के अनुसार भद्रा में होलिका दहन करना वर्जित माना जाता है। रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनेगा। होली के दिन सुबह 7.46 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र इसके बाद पूरे दिन हस्त नक्षत्र विद्यमान रहेगा। शास्त्रोचित मत से होली में लाल, पीला व गुलाबी रंग का प्रयोग शुभ माना जाता है।
रोग-शोक निवृत्ति हेतु होलिका की होगी पूजा होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि से पूजन होगा। पूजन के बाद होलिका में गुड़, कर्पूर, तिल, धुप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी, गाय के गोबर से बने उपले (गोइठा) डालकर सात बार परिक्रमा करने से परिवार की सुख-शांति, समृद्धि में वृद्धि, नकारात्मकता का ह्रास, रोग-शोक से मुक्ति व मनोकामना की पूर्ति होती है।
होलिका दहन की पूजा करने से रोग, दुख हो जाते हैं खत्म
होलिका दहन की पूजा करने से होलिका की अग्नि में सभी दुःख, कष्ट, रोग-दोष जलकर खत्म हो जाते हैं। होलिका के जलने के बाद उसमें चना या गेहूं की बाली को पकाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से स्वास्थ्य अनुकूल, दीर्घायु, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। होलिका दहन के भस्म को पवित्र माना गया है।