सीजी भास्कर, 22 मार्च। छत्तीसगढ़ की चर्चित IAS अफसर रहीं रानू साहू की दो अग्रिम जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी है। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि, आरोपी अफसर के खिलाफ जांच एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत हैं।
जिसमें 2010 से 2022 के बीच उसने 3.93 करोड़ रुपए की बेमानी संपत्तियां अर्जित की है। ऐसे में आरोपी अग्रिम जमानत की शर्तें पूरी नहीं करता। अपराध की गंभीरता और गवाहों से छेड़छाड़ की संभावना है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, रायपुर सेंट्रल जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज किया है। इन मामलों में भी उन्हें गिरफ्तारी की आशंका सता रही है। इससे बचने के लिए उसने अग्रिम जमानत अर्जियां लगाई थी।
कोयला घोटाला और आय से अधिक संपत्ति का केस
एसीबी और ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायत के अनुसार, रानू साहू पर आरोप है कि उसने अपने और परिवार के सदस्यों के नाम से आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है। उसने कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी के कोयला लेवी सिंडिकेट की मदद की। यह सिंडिकेट कोयला डिलीवरी ऑर्डर पर परमिट जारी करने के लिए हर टन 25 रुपए की अवैध वसूली करता था।
शिकायत में कहा गया कि, 2015 से अक्टूबर 2022 तक आवेदक और उसके परिवार ने 24 अचल संपत्तियां खरीदीं। 2011 से 2022 तक उसे वेतन के रूप में 92 लाख रुपए मिले। जबकि उसने 3.93 करोड़ रुपए की संपत्तियां खरीदी। इस आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। इसके अलावा एक अन्य मामला भी दर्ज कराया गया है
आरोपों को बताया गलत, षडयंत्र के तहत फंसाया गया
रानू साहू की तरफ से हाईकोर्ट में दलील दी गई कि, उसे षडयंत्र के तहत फंसाया गया है। 8 जून 2021 से 30 जून 2022 तक कोरबा में पदस्थापना के दौरान उसके खिलाफ षडयंत्र रचा गया। जब उसे ईडी केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने वाली थी, इससे पहले ही 23 मई 2024 को एसीबी/ईओडब्ल्यू ने उसे समन मामले में गिरफ्तार कर लिया।
केजरीवाल और सिसौदिया केस का दिया हवाला
रानू साहू के वकीलों ने कहा कि, याचिकाकर्ता के खिलाफ ईडी और एसीबी की जांच हो चुकी है। इसलिए हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के केस का हवाला देते हुए कहा कि आवेदक अग्रिम जमानत की शर्तें पूरी करता है।
दूसरी ओर, एसीबी/ईओडब्ल्यू के उपमहाधिवक्ता डॉ. सौरभ कुमार पांडेय ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आवेदक आर्थिक अपराध में शामिल है, जो गंभीर अपराध है और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है। आवेदक ने आय के स्रोत का खुलासा नहीं किया। हिरासत में पूछताछ से खरीदी गई संपत्तियों के स्रोत का पता चल सकता है।
ईडी ने दर्ज किया है मनी लॉन्ड्रिंग का केस
केस डायरी और जांच में सामने आया कि, आवेदक ने सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी और अन्य के साथ मिलकर कोयला व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से 25 रुपए प्रति टन की दर से अवैध वसूली की। इस मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने अपराध दर्ज किया। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।
हाईकोर्ट ने कहा- जांच एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत
हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए फैसले में कहा कि, जांच एजेंसी के पास आवेदक के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। 2010 से 2022 के बीच उसने 3.93 करोड़ रुपए की संपत्तियां अवैध रूप से खरीदीं। कोर्ट ने माना कि आवेदक अग्रिम जमानत की शर्तें पूरी नहीं करता। अपराध की गंभीरता और गवाहों से छेड़छाड़ की संभावना है।