सीजी भास्कर, 26 अप्रैल। सरगुजा जिले के राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंह देव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, अंबिकापुर में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर और अन्य संविदा कर्मचारियों की सेवा वृद्धि निरस्तीकरण पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (High Court Bilaslpur) ने बड़ा निर्णय सुनाया है।
हाईकोर्ट ने सेवा वृद्धि रद्द करने के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है और महाविद्यालय प्रशासन से जवाब तलब किया है।
यह मामला डाटा एंट्री ऑपरेटर शिवकुमार और अन्य कर्मियों की संविदा सेवा अवधि को बिना कारण समयपूर्व समाप्त किए जाने से जुड़ा है। याचिका अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से दायर (High Court Bilaslpur) की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कोविड महामारी के दौरान वायरोलॉजी लैब की स्थापना के लिए संविदा पर नियुक्ति हुई थी और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट कहा गया है कि जब तक नियमित नियुक्ति न हो, तब तक कार्यरत मानव संसाधनों की सेवाएं जारी रखी जाएंगी।
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज ने 2020 में वायरोलॉजी लैब के लिए संविदा भर्ती विज्ञापन जारी किया था, जिसमें डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब अटेंडेंट, लैब टेक्नीशियन और अन्य पदों पर नियुक्तियाँ हुई थीं। इन पदों पर समय-समय पर सेवा वृद्धि दी जा रही थी, लेकिन 2 अप्रैल 2025 को बढ़ाई गई सेवा अवधि को 3 अप्रैल 2025 को अचानक रद्द कर दिया गया।
इस आदेश को चुनौती देने पर जस्टिस बी. डी. गुरु की एकल पीठ ने महाविद्यालय के निर्णय पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
जिन पदों पर निरस्तीकरण हुआ है उनमें डाटा एंट्री ऑपरेटर के अलावा लैब अटेंडेंट : छबिलाल प्रधान, अरुण कुमार, आदित्य सिंह, सुंदर राम, हुकुम, विवेक चौहान, अनमोल, आर्यमान, अंकित राम प्रधान, शिवानी, और लैब टेक्नीशियन : वैशाली, कमला, अजय कुमार, सुशील सिंह, नीलावती शामिल हैं।
हाई कोर्ट (High Court Bilaslpur) के इस फैसले से संविदा कर्मियों को राहत मिली है और प्रशासनिक निर्णयों की वैधता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।