सीजी भास्कर, 06 मई। राजनीति के चहरे और विवादों के पर्याय बन चुके आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला दिल्ली में नारेबाजी या सियासी बयानबाजी का नहीं, बल्कि सीधा-सीधा कानून से टकराव का है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने खान की अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए विधायक से जवाब तलब किया है।
हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार के माध्यम से दिल्ली पुलिस ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि अमानतुल्लाह खान ने पुलिस की कार्रवाई में हस्तक्षेप किया और एक वांटेड अपराधी की गिरफ्तारी में बाधा डाली।
कब शुरू हुआ विवाद?
यह विवाद फरवरी में तब शुरू हुआ जब पुलिस शहवेज़ खान, जो पहले ही अग्रिम जमानत पर था, को गिरफ्तार करने पहुंची।
इसी दौरान अमानतुल्लाह खान और उनके समर्थकों ने पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता की और गिरफ्तारी की कोशिश को विफल कर दिया।
इस पर दिल्ली पुलिस ने अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मामला दर्ज किया। हालांकि राउज एवेन्यू की स्पेशल कोर्ट ने 26 फरवरी को खान को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी थी कि आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
लेकिन दिल्ली सरकार ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सवाल उठाया कि क्या एक विधायक को पुलिस कार्य में इस तरह हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
अमानतुल्लाह खान को लेकर दिल्ली सरकार की दलील
दिल्ली सरकार के वकील संजीव भंडारी ने कोर्ट में दलील दिया कि अमानतुल्लाह खान के खिलाफ पहले से 26 आपराधिक मामले चल रहे हैं और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना कानूनी रूप से गलत है।
वकील ने कहा कि क्या कोई तीसरा व्यक्ति अपनी क्षेत्रीय सियासत के आधार पर खुद को न्यायाधीश बना सकता है?
उन्होंने यह भी बताया कि खान के खिलाफ जिन 26 मामलों का जिक्र किया गया है, उनमें से 16 मामलों में वह बरी हो चुके हैं, लेकिन 5 मामलों में ट्रायल जारी है और 5 मामलों की जांच चल रही है।
क्या कहता है कानून ?
विधायक अमानतुल्लाह खान पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 221 (लोक सेवक के कर्तव्य पालन में बाधा डालना) और 132 (लोक सेवक पर हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसमें सवाल उठता है कि क्या एक विधायक को अपनी राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल कर पुलिस कार्य में हस्तक्षेप करने का अधिकार होता है।
आखिरकार क्या होगा ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अगस्त की तारीख तय की है।
ऐसे में देखना बेहद अहम होगा कि दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से जारी नोटिस का वो क्या जवाब देते हैं। आप विधायक अमानतुल्लाह खान के जवाब को देखने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा।