सीजी भास्कर, 26 मई |
इंदौर में रविवार को पढ़ाई के तनाव में तीन छात्रों ने अलग-अलग स्थानों पर आत्महत्या कर ली। एक लॉ स्टूडेंट, एक बीएससी का छात्र और एक नर्सिंग की छात्रा ने फांसी लगाकर जान दी। इनमें से नर्सिंग की छात्रा ने दीवार पर लिखा कि वह सरकारी नर्स नहीं बन सकी, इसलिए डिप्रेशन में आकर यह कदम उठा रही है। तीनों मामलों में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
बता दें NCRB के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में स्टूडेंट्स ने सबसे ज्यादा सुसाइड किया।
लॉ स्टूडेंट ने कमरे में लगाई फांसी
आजाद नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले बलिराम वास्कले (22), जो खरगोन का रहने वाला था और इंदौर की सेज यूनिवर्सिटी से लॉ थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रहा था, ने अपने किराए के कमरे में फांसी लगा ली। रविवार को जब उसका रूममेट अरुण लाइब्रेरी से लौटा, तो दरवाजा बंद मिला। काफी देर तक खटखटाने पर कोई जवाब नहीं आया तो उसने खिड़की से झांककर देखा। बलिराम फंदे पर लटका हुआ था।
अरुण ने पुलिस को सूचना दी। बलिराम के परिजनों को सूचना देकर एमवाय अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराया गया। बताया गया कि बलिराम परीक्षा और पढ़ाई को लेकर मानसिक दबाव में था। उसके पिता खरगोन में किसानी करते हैं। बलिराम के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और पुलिस मोबाइल रिकॉर्ड की जांच कर रही है।
दीवार पर लिखा- नर्स नहीं बन सकी
तीसरी घटना हीरानगर थाना क्षेत्र की है, जहां सिवनी निवासी आशा कानूनगो (25) ने अपने किराए के कमरे में फांसी लगा ली। वह नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी और करीब तीन महीने पहले ही इंदौर आई थी। रविवार को जब उसके घरवाले कॉल कर रहे थे और कोई जवाब नहीं मिला तो मकान मालिक नरेंद्र ने कमरे में झांका। अंदर वह फंदे पर लटकी मिली।
मकान मालिक के अनुसार, छात्रा ने दीवार पर लिखा कि वह सरकारी नर्स नहीं बन सकी, इसलिए डिप्रेशन में जान दे रही है। हालांकि हीरानगर थाना प्रभारी पीएल शर्मा ने दीवार पर कुछ लिखे होने की बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अभी तक किसी सुसाइड नोट की पुष्टि नहीं हुई है।
बीएससी छात्र ने भी की आत्महत्या
दूसरा मामला छत्रीपुरा थाना क्षेत्र से सामने आया, जहां समाजवाद नगर निवासी लक्की (उम्र लगभग 19 वर्ष), जो होलकर कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर का छात्र था, ने अपने घर में फांसी लगा ली। वह इंदौर में अपनी बड़ी बहन के साथ रहता था, जो MPPSC की तैयारी कर रही है। घटना के वक्त लक्की घर में अकेला था।
पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि वह पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी को लेकर तनाव में था। दो दिन पहले ही वह गांव से लौटा था। मोबाइल को पुलिस ने जब्त कर जांच शुरू कर दी है।
तीनों ही मामलों में आत्महत्या का कारण पढ़ाई और करियर को लेकर मानसिक तनाव बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस ने मोबाइल जब्त कर जांच शुरू कर दी है।
एमपी पहला राज्य जो लाने वाला था पॉलिसी
मध्य प्रदेश में सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी की बात कही गई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने देश की पहली सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी की अवधारणा बताई थी । सितंबर 2022 में इसे जल्द से जल्द लागू करने का वादा भी किया गया, लेकिन अब तक यह पॉलिसी कागजों से बाहर नहीं निकल सकी है। वहीं दूसरी ओर 2023 के शुरूआती छह महीनों में प्रदेश में 7 हजार से ज्यादा लोगों ने अपना जीवन त्याग दिया था। यानी प्रदेश में हर दिन करीब 40 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। डिप्टी डायरेक्टर स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी मध्य प्रदेश विजया सकपाल ने बताया कि इसको लेकर कमेटी बनाई गई थी, मगर सेंट्रल की प्लानिंग के बाद वह कमेटी रिजॉल्व हो गई।
छात्र आत्महत्याएं 4 पर्सेंट की वार्षिक दर से बढ़ी
IC-3 की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 पर्सेंट की चिंताजनक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी हैं। 2022 में कुल स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं में छात्रों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी। 2021 और 2022 के बीच छात्र आत्महत्याओं में 6 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि छात्राओं की आत्महत्या में 7 पर्सेंट की वृद्धि हुई है।’ स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड, दोनों को पार कर रही हैं।
पिछले दशक में 0-24 वर्ष के बच्चों की आबादी 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई, जबकि स्टूडेंट्स आत्महत्या की संख्या 6,654 से बढ़ कर 13,044 तक हो गई है। IC-3 एक स्वयंसेवी संगठन है जो गाइडेंस और ट्रेनिंग रिसोर्सेज के माध्यम से दुनिया भर के हायर एजुकेशनल संस्थानों को सहायता प्रदान करता है।