सीजी भास्कर, 18 जून। बांग्लादेश के मुंशीगंज से 16 साल पहले बॉर्डर पार कर एक शख्स रायपुर पहुंचता है। इसके बाद एक साल में ही अपनी पत्नी को भी अवैध तरीके से बॉर्डर पार करवाते हुए ले आता है। इतना ही नहीं उसने एक फेक मार्कशीट भी बनवाई।
इसी फेक मार्कशीट से अब पासपोर्ट जैसे अहम दस्तावेज भी बन गए। आरोपी का नाम मो. दिलावर खान है। रायपुर पुलिस ने दिलावर और उसके परिवार के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
ये परिवार कहां से पहुंचा? पुलिस ने कैसे इन्हें पकड़ा?
टिकरापारा इलाके में सरकारी कार्यालय के पास अंडा ठेला लगाने वाला व्यक्ति (दिलावर खान) बांग्लादेशी नागरिक है। टिकरापारा पुलिस को 13 जून को यह जानकारी मिली थी।
मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दिलावर खान की जानकारी जुटाई और टिकरापारा के धर्मनगर इलाके में स्थित उसके किराए के मकान में दबिश दी।
दिलावर खान के घर से पुलिस ने उसकी पत्नी परवीन बेगम और उसकी नाबालिग बेटी को हिरासत में लिया। दिलावर खान का बेटा मलेशिया में है और उसकी जानकारी पुलिस जुटा रही है।
पुलिस की पूछताछ में दिलावर खान ने 16 साल पहले पत्नी परवीन और एक साल के बेटे के साथ रायपुर आने की बात स्वीकारी है। हालांकि उनकी बेटी छत्तीसगढ़ में हुई है।
रायपुर में कहां रहा? क्या काम किया?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार दिलावर खान और उसका परिवार रायपुर के टिकरापारा इलाके में रहा है। इस दौरान उसने 4 घर बदले हैं। टिकरापारा इलाके में रहने के दौरान उसने पहले मजदूरी और फिर अंडा बिरियानी ठेला लगाने का काम किया।
वर्तमान में सरकारी कार्यालय के बाहर अंडा ठेला लगा रहा था। पुलिस की पूछताछ में दिलावर ने अपने बेटे का नाम रहमान बताया है। वो वर्तमान में मलेशिया में है, ऐसा बांग्लादेशी परिवार का कहना है। पुलिस अभी बांग्लादेशी परिवार के तीन सदस्यों से पूछताछ कर रही है।
मददगार कौन, फर्जी दस्तावेज कैसे बनाए?
दिलावर खान को फर्जी मार्कशीट बनाने में मदद उसके ठेले में काम करने वाले एक कर्मचारी ने की। कर्मचारी ने मार्कशीट बनाने के बदले 1000 रुपए लिए और रीवा जाने के लिए किराया मांगा।
दिलावर ने उस कर्मचारी को 1 हजार रुपए दिए। कर्मचारी ने उसे कुछ दिनों बाद मार्कशीट बनाकर दे दी।
यह मार्कशीट मध्यप्रदेश के रीवा जिले के त्योथर तहसील के माध्यमिक विद्यालय की थी। मार्कशीट और किरायानामा के आधार पर दिलावर ने पेन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवाया। अपने दस्तावेज बनाने के बाद दिलावर ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों के दस्तावेज बनवाए। दिलावर के यहां काम करने वाले कर्मचारी के नाम का खुलासा अभी पुलिस ने नहीं किया है।
दिलावर का बेटा कहां? परिचितों में कौन–कौन?
दिलावर खान के बेटे रहमान ने रायपुर में मैकेनिक के यहां काम किया। दिलावर ने अपने बेटे से पैसा मांगा, तो घर से वो अलग रहने लगा और कुछ दिनों बाद रायपुर छोड़ दिया।
पुलिस की पूछताछ में दिलावर खान ने बताया, कि तीन साल पहले बेटे रहमान से संपर्क हुआ था, तो उसने पुणे में काम करने की बात कही।
दूसरी बार उसने 2023 के आखिरी महीनों में संपर्क किया था। इस दौरान उसने बताया था, कि उसकी शादी हो गई है। उसके ससुर ने उसे मलेशिया भिजवा दिया है और वो काम कर रहा है।
पुलिस के अनुसार दिलावर का छत्तीसगढ़ में कोई रिश्तेदार नहीं है। पुलिस दिलावर की इस कहानी के अलावा, अलग–अलग बिंदुओं पर जांच कर रही है।
दिलावर खान और उसके परिवार का फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने वाले मददगारों की कुंडली पुलिस निकाल रही है। दिलावर के यहां काम करने वाले कर्मचारी के अलावा मकान मालिक और दस्तावेज बनाने के लिए अनुशंसा पत्र देने वालों की भी जानकारी जुटाई जा रही है।
पुलिस ने दिलावर खान के घर से कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं। इन दस्तावेजों की हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाई है। केस की जांच कर रहे अफसरों का कहना है, कि आने वाले दिनों में दिलावर खान के सभी मकान मालिकों और उसके मददगारों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी जुटाने में इंटेलिजेंस फेल
दिलावर खान और उसके परिवार के अलावा छत्तीसगढ़ में एक दर्जन से ज्यादा बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जा चुके हैं। ये गिरफ्तारी रायपुर के अलावा दुर्ग और रायगढ़ जिले में हुई है। जितने भी बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार हुए, वे सभी लंबे समय से छत्तीसगढ़ में रह रहे हैं।
इन बांग्लादेशी नागरिकों में से कुछ छत्तीसगढ़ में रहने के दौरान 4-5 बार बांग्लादेश होकर आए हैं। इसके अलावा फोन और ऐप के माध्यम से लगातार संपर्क में रहे हैं। पुलिस की जांच में ये सब बात सामने आई है।
हर बार पुलिस या एटीएस ने अपने स्तर पर बांग्लादेशी नागरिकों पर कार्रवाई की है। राज्य सरकार की इंटेलिजेंस बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाने में फेल साबित हो रही है।
CG में 1500 बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने की जानकारी
गृह विभाग को प्रदेश में 1500 बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के होने की जानकारी मिली है। प्रदेश में बिना किसी पहचान पत्र के रहने वालों की धरपकड़ के लिए गृह विभाग जल्द ही एसओपी जारी करेगा।
ये दुर्ग–भिलाई, मोहला मानपुर, रायपुर, कवर्धा, रायगढ़, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, कोरिया और सरगुजा में अपने परिचितों और समाज के लोगों के साथ रह रहे हैं।