सीजी भास्कर, 21 जून। एक वक्त था जब आईसीआईसीआई बैंक, देश के दिग्गज एचडीएफसी (HDFC) का मर्जर अपने साथ चाहता था। यह बात एचडीएफसी के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (Chanda Kochhar) के साथ एक बातचीत में कहा है।
भारत की दो दिग्गज वित्तीय संस्थाओं HDFC और ICICI को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है. HDFC के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर के यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान बताया कि कभी ICICI HDFC को अधिग्रहित करना चाहता था।
आइए आपको भी बताते हैं मर्जर के पीछे की पूरी इनसाइड स्टोरी…
क्या है इनसाइड स्टोरी?
दीपक पारेख ने इस इंटरव्यू में कहा कि जब HDFC और HDFC बैंक का मर्जर हुआ, तो आरबीआई (RBI) ने इस ऐतिहासिक विलय को लेकर काफी सपोर्ट किया। लेकिन उन्होंने ये भी बताया कि इससे बहुत पहले, एक दौर ऐसा भी था जब ICICI बैंक ने HDFC को खरीदने की इच्छा जताई थी।
ICICI ने हमसे संपर्क किया था कि क्या हम HDFC को बेचना चाहेंगे? लेकिन हमने स्पष्ट रूप से मना कर दिया।
इस बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा मानते रहे कि HDFC और HDFC बैंक का विलय एक “स्वाभाविक प्रगति” थी, जो समय के साथ होनी ही थी। लेकिन जब ICICI ने अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा था, तब उन्हें लगा कि HDFC की स्वतंत्र पहचान को बरकरार रखना ज्यादा जरूरी है।
RBI की भूमिका अहम
पारेख ने यह भी बताया कि RBI ने HDFC और HDFC बैंक के मर्जर को तेजी से क्लियर करने में बड़ा योगदान दिया. उन्होंने कहा कि इस मर्जर के पीछे की प्रक्रिया बेहद जटिल थी, लेकिन रिजर्व बैंक ने समझदारी और समर्थन के साथ इस विलय को मंजूरी दी.
क्यों खास है यह खुलासा?
ICICI बैंक और HDFC दोनों ही निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी और भरोसेमंद वित्तीय संस्थाएं मानी जाती हैं. अगर कभी ICICI ने HDFC को अधिग्रहित कर लिया होता, तो आज भारत का बैंकिंग परिदृश्य पूरी तरह अलग होता.
दीपक पारेख के इस खुलासे से एक बात और साफ हो जाती है कि वित्तीय संस्थाओं के पीछे कई बार ऐसे बड़े निर्णय छिपे होते हैं, जो समय पर लिए जाएं तो भविष्य की तस्वीर ही बदल देते हैं।