26 जून 2025 :
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर सतना जिले के कोतवाली थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी को 1000 फलदार पौधे आम, जामुन, महुआ, अमरूद लगाने की सजा सुनाई है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनीन्द्र कुमार सिंह की कोर्ट ने नाबालिग से दुराचार के एक गंभीर मामले में पीड़िता को समय पर नोटिस तामील न कराने की लापरवाही के चलते थाना प्रभारी को ये सजा सुनाई है.
यही नहीं कोर्ट ने सभी पौधों की तस्वीरें और उनकी जीपीएस लोकेशन के साथ एक अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है. दरअसल, यह पूरा मामला अक्टूबर 2021 का है. सतना की जिला अदालत ने आरोपी रामअवतार चौधरी को नाबालिग से दुराचार के मामले में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी.
कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई
30 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट ने पीड़िता को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था, लेकिन कोतवाली थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी द्वारा यह नोटिस समय पर तामील नहीं कराया गया, जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. थाना प्रभारी ने पीड़िता को नोटिस तामील न कराने के लिए माफी मांगते हुए कोर्ट से यह भी कहा कि वह पुलिस महानिरीक्षक द्वारा लगाई गई पांच हजार की जुर्माना राशि का भुगतान करेंगे और स्वयं 1000 पौधे लगाएंगे.
अदालत ने दिया ये निर्देश
अदालत ने निर्देश दिया है कि ये पौधे आम, जामुन, महुआ, अमरूद जैसे फलदार किस्मों के हों और ये सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र में 1 जुलाई से 31 अगस्त 2025 के बीच लगाए जाएं. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लगाए गए पौधों की देखभाल एक साल तक स्वयं थाना प्रभारी करेंगे, ताकि पौधे अच्छे से विकसित होकर स्थापित हो सकें. साथ ही थाना प्रभारी को सभी पौधों की तस्वीरें और उनकी जीपीएस लोकेशन के साथ एक अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी. इस रिपोर्ट के साथ सतना एसपी का शपथ-पत्र भी संलग्न किया जाए, जिसमें एसपी पौधारोपण स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट देंगे.
मामले की अगली सुनवाई कब होगी?
इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर 2025 को होगी. हाईकोर्ट के आदेश में पर थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी है और भविष्य में इस तरह की लापरवाही नहीं दोहराने का वचन दिया है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पौधारोपण का पूरा खर्च टीआई को अपनी निजी आय से करना होगा. बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब हाईकोर्ट ने पर्यावरणीय सजा दी हो.
दिसंबर 2024 में भी कोर्ट ने अपने आदेश की अवहेलना करने वाले एक व्यक्ति को एक माह में 50 पेड़ लगाने का निर्देश दिया था. ऐसे निर्णय अदालत के पर्यावरण के प्रति सजग और उत्तरदायी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं.