महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर राजनीतिक उबाल देखने को मिल रहा है. राज्य सरकार की तरफ से हाल ही में जारी किए गए आदेश की वजह से सारा घमासान मचा हुआ है. इस आदेश में साफ कहा गया है कि स्कूलों में कक्षा एक से पांचवी तक हिंदी, मराठी, इंग्लिश पढ़ाया जाना अनिवार्य है. शिवसेना ने सरकार के इस फॉर्मूले पर आपत्ति दर्ज की है. यही वजह है कि सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.अब इस पूरे मामले पर शरद पवार का बयान सामने आया है. उन्होंने साफ कहा कि हिंदी को पूरी तरह नजरअंदाज करना सही नहीं है.
राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के निर्णय के विरोध में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के संभावित एकजुट मोर्चे को लेकर राज्य की सियासत गरमाई हुई है. 5 जुलाई को होने वाले मोर्चे में दोनों ठाकरे बंधु एक साथ नजर आ सकते हैं.
ठाकरे गुट के नेता संजय राऊत ने दोनों का एक साझा फोटो ट्वीट करते हुए इशारा दिया कि यह मोर्चा संयुक्त रूप से निकाला जाएगा. हालांकि, अभी तक मनसे की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
हिंदी को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना सही नहीं- शरद पवार
इस पूरे मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने कोल्हापुर में पत्रकार परिषद के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दी है. शरद पवार ने स्पष्ट किया कि पहली से चौथी कक्षा तक हिंदी की अनिवार्यता की कोई जरूरत नहीं, लेकिन पांचवीं कक्षा के बाद हिंदी आना जरूरी है. हिंदी को पूरी तरह नजरअंदाज करना सही नहीं होगा.
उन्होंने बताया कि दोनों ठाकरे बंधुओं की भूमिका पढ़ी है और वे मुंबई लौटने के बाद इस मुद्दे पर उनसे चर्चा करेंगे. पवार ने कहा उन्होंने (ठाकरे बंधुओं ने) मोर्चे में शामिल होने के लिए कहा है, लेकिन ऐसा तुरंत नहीं किया जा सकता. पहले उनकी भूमिका को समझना पड़ेगा. अगर यह मोर्चा महाराष्ट्र के हित में है, तो हम ज़रूर विचार करेंगे आखिर में शरद पवार ने दोहराया कि मेरा स्पष्ट मत है कि पहली से चौथी तक हिंदी की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए.