सीजी भास्कर, 4 जुलाई |
बिलासपुर जिले के धान संग्रहण केंद्रों में बीते 7 माह से करीब 7 करोड़ 27 लाख रुपए के धान का उठाव नहीं हुआ है। धान बारिश के मौसम में भी बाहर पड़ा हुआ है। केंद्रों में महज दिखावे के लिए कैप कवर लगाया गया है। यहां न तो धान की बोरियों को रखने के लिए चबूतरा बना है और न ही रखरखाव का कोई खास उपाय किया गया है। ऐसे में बरसते पानी में धान सड़कर खराब होने की आशंका है।
दरअसल, जिले में हुई धान की खरीदी के बाद संग्रहण केंद्रों में रखे धान का बारिश से पहले उठाव करना था। ताकि, धान सुरक्षित तरीके से मिलरों तक पहुंच सके। इसके लिए जिले के मोपका, भरनी, करगीकला और बिल्हा स्थित धान संग्रहण केंद्रों में धान को एकत्रित किया गया है, जिसमें करीब 7 करोड़ 27 लाख रुपए मूल्य का धान 7 महीने से अधिक समय से जाम है।
खुलेआम आसमान के नीचे पड़ी है धान की बोरियां
मोपका, भरनी सहित सभी संग्रहण केंद्रों में धान की बोरियां खुले आसमान के नीचे रख दिया गया है। बारिश शुरू होने पहले जून में धान को ढंकने के लिए कैप कवर की खरीदी की गई थी, जो अंधड़ और हवा में फट गए हैं और धान सही तरीके से ढक नहीं पाया है।
कहीं तिरपाल और कैप कवर फटे हैं तो कहीं बारिश का पानी धान की बोरियों तक पहुंच रहा है। केंद्रों में बारिश से बचाने के लिए चबूतरा भी नहीं बना है, जिसके चलते जमीन गिली हो गई है और उसमें धान की बोरियां रखी हुई है। ऐसे में धान के सड़ने की आशंका है।
17 हजार 929 मिट्रिक टन धान का नहीं हुआ उठाव
दरअसल, जिले में धान का उठाव बहुत धीमी गति से हो रहा है। मिलर्स संग्रहण केंद्रों में गिनती के ट्रक भेज रहे हैं। जिसकी वजह से बारिश में धान सड़कर खराब होने की आशंका है। धान के उठाव और बारिश से बचाव करने के लिए अफसर भी उदासीन हैं।
कहा जा रहा है कि धान उठाने में कम से कम एक महीने का समय और लग सकता है। यदि इस दौरान तेज बारिश होती है, तो यह धान को ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। वर्तमान में भरनी संग्रहण केंद्र में ही कुल 39,421 मीट्रिक टन धान में से 17,929 मीट्रिक टन का उठाव होना बाकी है।
इसके अलावा मोपका, भरनी, करगीकला और बिल्हा संग्रहण केंद्र में कुल 1,36,629 मीट्रिक टन धान डंप किया गया था। जिसमें से अब तक 74,477 मीट्रिक टन का ही उठाव हो पाया है। अभी भी 62,152 मीट्रिक टन धान इन केंद्रों में जाम है।
धान उठाव में इसलिए हुई देरी
जिला सहकारी बैंक के अफसरों के अनुसार, इस बार किसानों से 20 की जगह 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदा गया था। क्योंकि, किसानों को 3,100 प्रति क्विंटल भाव मिला है। वहीं, मिलर्स को उठाव के लिए कम दरें दी गईं, जिसके कारण उन्होंने शुरुआत में धान का उठाव नहीं किया।
शासन-प्रशासन के भारी दबाव के बाद ही उठाव शुरू हो सका। लेकिन, उठाव में तेजी अभी भी नहीं है। वहीं अब संग्रहण केंद्रों में धान ट्रकों में भरने के लिए हमालों (मजदूरों) की भी कमी होने लगी है। खेती-किसानी का काम शुरू होने के कारण हमाल अब खेतों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में यह समस्या और बढ़ सकती है।
जिला विपणन अधिकारी बोले- लगेगा एक माह का समय
जिला विपणन अधिकारी शंभू कुमार गुप्ता का कहना है कि बिलासपुर के साथ ही मुंगेली जिले के धान का भंडारण किया गया है। जिसमें करीब सभी केंद्रों में नीलामी हो गई है। कुछ जगहों पर नीलामी बची है, जो शीघ्र ही पूरा हो जाएगा। टेंडर जारी करने की प्रक्रिया मुख्यालय से होती है। अभी जो धान बचे हैं, उसका उठाव करने में करीब एक महीने का समय लग सकता है।