रायपुर, छत्तीसगढ़ |
राज्य में शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर फैली अफवाहों पर अब सरकार ने स्पष्ट रूप से स्थिति साफ कर दी है। सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि युक्तियुक्तकरण के चलते 37,000 से अधिक शिक्षकों के पद खत्म कर दिए गए हैं। लेकिन अब शिक्षा विभाग ने इन दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है – “किसी भी शिक्षक का पद समाप्त नहीं किया गया है।”
क्यों ज़रूरी था युक्तियुक्तकरण?
राज्य में स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से असंतुलित थी। कई स्कूल ऐसे थे जहां दर्ज संख्या शून्य थी, तो कहीं शिक्षक ही नहीं थे।
- 453 स्कूल पूरी तरह शिक्षक विहीन थे
- 5936 स्कूल एकल शिक्षक पर निर्भर थे
- वहीं दूसरी ओर कुछ स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक कार्यरत थे – कहीं 10 से ज्यादा तो कहीं 15 से भी अधिक।
इस असमानता ने न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किया, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को भी पीछे धकेल दिया था। इसी को सुधारने के लिए सरकार ने शिक्षक और विद्यालय दोनों स्तरों पर युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) की प्रक्रिया अपनाई।
पहला चरण: विद्यालयों का समायोजन
राज्य सरकार ने पहले उन स्कूलों की पहचान की जो या तो एक ही परिसर में चल रहे थे, या बेहद कम दूरी पर समान स्तर की शिक्षा प्रदान कर रहे थे।
- 10372 स्कूल एक ही परिसर में संचालित थे
- 133 स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में 1 किलोमीटर से कम दूरी पर थे
- 33 स्कूल शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित थे
इन सभी को मिलाकर कुल 10,538 स्कूलों का पुनर्गठन किया गया।
दूसरा चरण: शिक्षकों का समायोजन
इसके बाद, अतिशेष शिक्षकों की पहचान की गई और उन्हें उन स्कूलों में भेजा गया जहां शिक्षकों की जरूरत थी।
- अब तक 15,165 शिक्षकों एवं प्राचार्यों का समायोजन किया जा चुका है।
- पहले जहां 453 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं था, अब सभी में शिक्षक मौजूद हैं।
- 5936 एकल शिक्षक वाले स्कूलों में अब केवल 1207 ऐसे हैं जहां एक ही शिक्षक कार्यरत है।
सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नीतिगत ढंग से चलाई गई है, जिसमें शिक्षकों की जरूरत और बच्चों की संख्या को ध्यान में रखा गया है।
क्या कोई पद वाकई में खत्म हुआ?
सरकार ने साफ किया है कि “एक भी शिक्षक पद खत्म नहीं किया गया है।”
बल्कि, दर्ज संख्या के आधार पर स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती की गई है। यदि किसी स्कूल में भविष्य में बच्चों की संख्या बढ़ती है, तो वहां आवश्यकता अनुसार शिक्षक पदों की व्यवस्था की जाएगी।
निष्कर्ष: अफवाहों से रहें सावधान
छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया का मकसद केवल शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और संतुलित बनाना है। पद समाप्त करने जैसी अफवाहें भ्रामक हैं और इनसे बचना चाहिए।
शिक्षा विभाग ने एक बार फिर दोहराया है – “शिक्षकों का स्थानांतरण पुनर्संयोजन मात्र है, न कि किसी पद की समाप्ति।”