रांची, झारखंड। राजधानी रांची के सुखदेव नगर थाना अंतर्गत टंगराटोली बस्ती में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां एक जर्जर सरकारी प्राथमिक स्कूल की छत गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद आक्रोशित लोगों ने शव को सड़क पर रखकर प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
सुबह-सुबह हुआ हादसा, मलबे में दबे चार लोग
यह दर्दनाक घटना शुक्रवार सुबह करीब 7:30 से 8:00 बजे के बीच घटी। बताया जा रहा है कि कोविड काल से बंद पड़ा यह सरकारी स्कूल का भवन काफी जर्जर स्थिति में था। हादसे के समय चार लोग स्कूल भवन के भीतर मौजूद थे। अचानक पूरी छत धराशायी हो गई और सभी मलबे में दब गए।
स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से तत्काल बचाव अभियान चलाया गया। सुरेश बैठा नामक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई जबकि रोहित तिर्की, प्रीतम और नितिन तिर्की नाम के तीन युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार, एक घायल की कमर और दूसरे का पैर टूट गया है।
स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटा, मुआवजे की मांग
दुर्घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने शव को सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनका कहना है कि जर्जर स्कूल भवन को कई बार हटाने की मांग की गई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब जब एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई, तो प्रशासन जवाब दे।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि—
- मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।
- घायलों का मुफ्त इलाज हो।
- जर्जर भवन को तत्काल गिराया जाए।
कोविड काल से बंद था स्कूल, फिर भी उपयोग होता रहा
स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह स्कूल कोविड महामारी के समय से ही बंद है और उसे जर्जर घोषित कर दिया गया था। इसके बावजूद बारिश, धूप या रात में सोने के लिए लोग इस भवन का इस्तेमाल करते थे। गुरुवार की रात भी चार-पांच लोग उसमें सो रहे थे, तभी सुबह यह हादसा हो गया।
प्रशासन से बड़ी लापरवाही
यह हादसा सरकारी लापरवाही और ढीली निगरानी व्यवस्था का परिणाम है। जर्जर भवन को समय रहते हटाया नहीं गया, जिससे एक जान चली गई और तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। अब सवाल यह है कि क्या अब भी प्रशासन जागेगा या किसी और की जान जाएगी?