सीजी भास्कर, 1 अगस्त : नवनिर्मित एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोत ‘हिमगिरि‘ समुद्र में भारतीय नौसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। परियोजना 17ए परियोजना के तहत निर्मित यह युद्धपोत गुरुवार को नौसेना को सौंपा गया। इसे सरकारी क्षेत्र की रक्षा कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड ने तैयार किया है। हिमगिरि 149 मीटर लंबा और 6,670 टन वजनी है। यह जीआरएसई द्वारा निर्मित सबसे बड़ा और सबसे उन्नत गाइडेड मिसाइल युद्धपोत है।
हिमगिरि नौसेना के लिए बनाए जा रहे तीन एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोतों में से पहला है। इसकी आपूर्ति से भारतीय नौसेना की उन्नत निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। जीआरएसई ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि कोलकाता में इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना की ओर से पूर्वी नौसेना कमान के चीफ स्टाफ आफिसर (तकनीकी) रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने स्वीकार किया। यह जीआरएसई द्वारा निर्मित 801वां पोत है। कंपनी ने अब तक 112 युद्धपोतों का निर्माण किया है, जो एक अद्वितीय रिकार्ड है।
जीआरएसई के 65 साल के इतिहास में हिमगिरि सबसे बड़े और सबसे परिष्कृत गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट परियोजना का हिस्सा है। ऐसे तीन युद्धपोतों के निर्माण पर कुल 21,833 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च अनुमानित है। 14 दिसंबर 2020 को लांच किया गया हिमगिरि ब्रह्मोस एंटी-शिप और लैंड-अटैक क्रू•ज मिसाइलों के साथ-साथ बराक 8 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों से लैस है। जाहिर तौर पर यह नौसैनिक हमले और रक्षात्मक क्षमताओं में एक बड़ी छलांग का हिस्सा है।
इस युद्धपोत में उच्च स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह डीजल इंजन और गैस टर्बाइन के संयोजन से संचालित होता है। साथ ही यह उन्नत एईएसए रडार और आधुनिक लड़ाकू प्रणालियों से लैस तथा वायु-रोधी, सतह-रोधी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध संचालन में सक्षम है। खास बात यह भी है कि हिमगिरि पर तैनात किए जाने वाले 225 नौसैनिकों तथा अधिकारियों के लिए इसमें आरामदायक आवास भी हैं। इस जहाज पर हेलीकाप्टरों के संचालन के लिए पूर्ण विमानन सुविधाएं भी प्रदान की गई है। जीआरएसई वर्तमान में नौसेना के लिए चार अलग-अलग वर्गों में 15 युद्धपोतों पर काम कर रहा है।