सीजी भास्कर, 16 अगस्त। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शाम कुछ देर पूर्व अचानक राजभवन पहुंच गए हैं।
राजभवन में उन्होंने राज्यपाल रमेन डेका से मुलाकात की जिसके बाद चर्चा और तेज हो गई है कि साय कैबिनेट का विस्तार होने वाला है और तारीख तय हो गई है।
कहा यह भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात कर शपथ लेने वाले मंत्रियों के नाम दे भी दिए हैं।
भाजपा संगठन के एक भरोसेमंद सूत्र ने अब तक चर्चाओं में रहने वाले नामों के उलट नए नाम की चर्चा छेड़ दी है। इन नामों में कौन-कौन विधायक हैं फिलहाल इसकी जानकारी संगठन स्तर पर गुप्त है।
बताया जा रहा है कि इससे पहले तक जिन नामों को लेकर चर्चा रही है वो सभी अब सूची में हैं भी या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
जानकारों का तर्क है कि समीकरण अब बदल गया है इसलिए नाम भी यकीनन बदले हैं।
गौरतलब हो कि आज ही सुबह सीएम विष्णुदेव साय ने मीडिया से चर्चा में कहा था कि इंतजार करिए, जल्द ही विस्तार होगा। मंत्रिमंडल का विस्तार उनके विदेश दौरे से पहले भी हो सकता है।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 22 अगस्त से पहले विदेश दौरे पर जा रहे हैं, इसके पहले मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर भाजपा हाईकमान ने मंजूरी दे दी है।
जानकारों के अनुसार 17 से 20 अगस्त के बीच मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, जिसमें तीन नए मंत्रियों को शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में अपनी दिल्ली यात्रा से वापसी के बाद इस बात का संकेत भी दे ही दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में 3 और मंत्री बनाए जा सकते हैं। नियमों के तहत विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत ही मंत्री बन सकते हैं, इस लिहाज से 90 विधायकों में 13.5 मंत्री बन सकते हैं इसलिए मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री भी हो सकते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बढ़ती सरगर्मियों के बीच नामों को लेकर उथल-पुथल के हालात अब भी बरकरार हैं।
जिन नये समीकरण को लेकर हलचल तेज हुई है, उस पर खुलासा करें तो अनुसूचित जाति बहुल सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार उतरने से कांग्रेस के वोटों का समीकरण बिगड़ा और इसका फायदा भाजपा को हुआ।
भाजपा ने तब राज्य की 10 अनुसूचित जाति की सीटों में से 9 पर जीत दर्ज की थी। मगर वर्ष 2018 के चुनाव में गुरु बालदास की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ गई।
जब उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया था लेकिन 2023 के चुनाव के ठीक पहले गुरु बालदास अपने बेटे गुरु खुशवंत साहेब के साथ भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने गुरु खुशवंत साहेब को आरंग से अपना उम्मीदवार बनाया था।
उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे शिव डहरिया को भारी मतों से हराकर जीत हासिल की।
भाजपा के रणनीतिकार की मानें तो गुरु खुशवंत साहेब को साय सरकार में मंत्री बनाकर भाजपा अनुसूचित जाति वर्ग के वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
संगठन के भीतर यह भी चर्चा रही है कि गुरु बालदास अपने विधायक बेटे को मंत्री बनाने के लिए दिल्ली तक दौड़ भी लगाते रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा हाईकमान के कई वरिष्ठ नेताओं से उनकी चर्चा होती रही है।
ऐसे में भाजपा को डर है कि अगर गुरु खुशवंत साहेब को मंत्री नहीं बनाया गया, तो गुरु बालदास की नाराजगी मोल लेनी पड़ सकती है और इसका असर आगामी चुनाव में पड़ सकता है।
मंत्रिमंडल विस्तार में संभावित मंत्री के रूप में अंबिकापुर से विधायक राजेश अग्रवाल के नाम की चर्चा ने जोर पकड़ा है।
विधानसभा चुनाव में राजेश अग्रवाल ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे टी एस सिंहदेव को मात देकर जीत दर्ज की थी।
सरगुजा संभाग की राजनीति में टी एस सिंहदेव का ऊंचा कद रहा है।
2018 के चुनाव में सरगुजा संभाग से भाजपा का सूपड़ा साफ करने के पीछे टी एस सिंहदेव ही प्रमुख रणनीतिकार थे लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव आते-आते समीकरण तेजी से बदल गए।
कभी टी एस सिंहदेव के बेहद करीबी रहे राजेश अग्रवाल को भाजपा ने उनके ही विरुद्ध उम्मीदवार बनाया और उन्होंने सिंहदेव को करारी शिकस्त देते हुए जीत का परचम लहराया था।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही चर्चाओं में राजेश अग्रवाल का नाम आने के पीछे सिर्फ राजनीतिक समीकरण ही नहीं हैं, इसके परे भी कई अहम कारण हैं, जो उनकी दावेदारी को मजबूत करते दिख रहे हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बढ़ती सरगर्मियों के बीच नामों को लेकर उथल-पुथल के हालात अब भी बरकरार हैं।
जिन नये समीकरण को लेकर हलचल तेज हुई है, उस पर खुलासा करें तो अनुसूचित जाति बहुल सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार उतरने से कांग्रेस के वोटों का समीकरण बिगड़ा और इसका फायदा भाजपा को हुआ।
भाजपा ने तब राज्य की 10 अनुसूचित जाति की सीटों में से 9 पर जीत दर्ज की थी। मगर वर्ष 2018 के चुनाव में गुरु बालदास की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ गई।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही चर्चाओं में राजेश अग्रवाल का नाम आने के पीछे सिर्फ राजनीतिक समीकरण ही नहीं हैं, इसके परे भी कई अहम कारण हैं, जो उनकी दावेदारी को मजबूत करते दिख रहे हैं।
बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी में आज से आने वाला 2-4 दिन काफी उथल पुथल भरा रहेगा। जिन जिन विधायकों ने उम्मीद जगा रही है, बदलते समीकरणों ने उनकी नींद उड़ा दी है।
अपनी अपनी विधानसभा में जन्माष्टमी के कार्यक्रमों के बीच सभी अपने अपने स्तर पर संगठन से लेकर दिल्ली तक लगातार फोन पर बात करते हुए अपनी उम्मीद को बल देने में लगे हुए हैं।
संगठन में जो जो पदाधिकारी नाम तय करने या सलाह देने के स्तर की दमदारी रखते हैं उनके फोन लगातार व्यस्त मिल रहे हैं।
अपनी टोह टटोलने वाले विधायक (Janmashtami) जन्माष्टमी की बधाई देते हुए बस इतना ही पूछ पा रहे हैं कि अभी चल क्या रहा है।
यह अलग बात है कि संगठन के मंझे हुए नेता भी उनकी कुशल-क्षेम जानते हुए कहा रहे हैं कि अभी तो कुछ नहीं चल रहा।
बात जो भी हो मंत्रीमंडल विस्तार की टोही और सांकेतिक खबर जब जब मीडिया में उछलती है, की विधायक कह देते हैं – “भैया, नींद ही नहीं आ रही है।“