सीजी भास्कर, 04 सितंबर। मध्य प्रदेश के उज्जैन से एक भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां सिर्फ 8 साल की बच्ची को पुलिस विभाग में नौकरी दी गई है। चौथी कक्षा में पढ़ने वाली इस बच्ची का नाम इच्छा रघुवंशी है।
दरअसल, उसके पिता प्रधान आरक्षक देवेंद्र सिंह रघुवंशी की 17 मई 2025 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। पिता की अचानक हुई मृत्यु के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। ऐसे में बच्ची की मां ने पुलिस विभाग से उसकी नियुक्ति की गुहार लगाई।
25 मिनट में मिला ज्वाइनिंग लेटर
परिवार ने उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा से मुलाकात की और आवेदन दिया। एसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सिर्फ 25 मिनट में ही इच्छा को ‘बाल आरक्षक’ नियुक्त कर दिया और ज्वाइनिंग लेटर भी सौंप दिया।
क्यों बनाए जाते हैं बाल आरक्षक?
जानकारी के मुताबिक, इच्छा अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। पुलिस नियमों के अनुसार, किसी पुलिसकर्मी की असमय मृत्यु होने पर उनके नाबालिग बच्चों को बाल आरक्षक बनाया जाता है।
इनका मुख्य उद्देश्य है—
- परिवार की आर्थिक मदद करना
- बच्चों को पुलिस विभाग की प्रक्रिया और अनुशासन से जोड़ना
- वयस्क होने पर उन्हें स्थायी नौकरी का अवसर देना
18 साल की उम्र पूरी करने और 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद बाल आरक्षक स्थायी आरक्षक बन जाते हैं।
मिलेगी इतनी सैलरी
नियमों के मुताबिक, बाल आरक्षक को नव आरक्षक के आधे वेतन के बराबर सैलरी मिलती है। इसी हिसाब से इच्छा को हर महीने ₹15,113 रुपए वेतन दिया जाएगा। इसके अलावा, पिता की पेंशन उसकी मां को मिलती रहेगी।
फिलहाल इच्छा को महीने में एक बार थाने जाकर साइन करने होंगे और पुलिस विभाग उसकी पढ़ाई-लिखाई की प्रगति पर भी नजर रखेगा।
SP ने कहा – “प्राथमिकता है ऐसे मामलों का समाधान”
एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि ऐसे मामलों को तुरंत निपटाना उनकी प्राथमिकता है। उनका कहना है,
“बाल आरक्षक नियुक्ति का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि परिवार पर आए आर्थिक बोझ को कम किया जा सके और बच्चे के भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सके।”