सीजी भास्कर, 8 सितम्बर : ग्रामोद्योग, स्कूल शिक्षा एवं विधि-विधायी मंत्री गजेंद्र यादव ने रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस के कॉन्फ्रेंस हॉल में ग्रामोद्योग विभाग की समीक्षा बैठक ली। इस दौरान विभाग से जुड़ी योजनाओं और गतिविधियों की विस्तृत समीक्षा की गई।
मंत्री यादव ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के लगभग 3.15 लाख हितग्राही ग्रामोद्योग के विभिन्न कुटीर उद्योगों से रोजगार(Rural Employment Expansion) प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिलों और विकासखंड स्तर पर स्थापित रीपा (RIPA) भवनों को रोजगार विस्तार का केंद्र बनाया जाए, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों को आजीविका से जोड़ा जा सके।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दोना-पत्तल निर्माण, कांसा बर्तन उद्योग, गोबर से जैविक खाद, पपीते से गुलकंद उत्पादन और फर्नीचर निर्माण जैसे छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इससे नए रोजगार अवसर सृजित होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित करने का फैसला किया कि शासकीय विभागों में केवल राज्य के बुनकरों और कारीगरों द्वारा निर्मित सामग्री का ही उपयोग होगा। इसके अलावा रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में शिल्प ग्राम और शिल्प नगरी विकसित करने की योजना(Rural Employment Expansion) पर भी काम शुरू किया जाएगा। इससे कारीगरों को नए बाजार और बेहतर विपणन सुविधा उपलब्ध होगी तथा राज्य की शिल्पकला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सकेगी।
बैठक में सचिव सह संचालक ग्रामोद्योग श्याम धावड़े, हस्तशिल्प एवं माटीकला बोर्ड के प्रबंध संचालक जे. पी. मौर्य, उप सचिव अर्न मरकाम, रेशम विभाग के अपर संचालक डॉ. राजेश बघेल, हथकरघा विभाग के संयुक्त संचालक अ. अयाज़ सहित विभागीय अधिकारी(Rural Employment Expansion) उपस्थित थे।