सीजी भास्कर, 11 सितंबर। सीबीआई (CBI) शिकायत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह पर शिकंजा कस दिया है। रिलायंस के चेयरमैन अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (R काम) के खिलाफ मनी लांड्रिंग जांच (Money Laundering Case) का दायरा और बढ़ा दिया है।
एजेंसी ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 2,929 करोड़ रुपये के कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में नया प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दर्ज की है। यह कार्रवाई CBI की शिकायत को आधार मान कर की गई है।
अधिकारियों के अनुसार यह मामला अब बड़े (Financial Fraud Investigation) का रूप ले चुका है।
ईडी सूत्रों ने बताया कि CBI ने 21 अगस्त को दर्ज शिकायत के आधार पर अंबानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
उसी शिकायत को आधार मानते हुए ईडी ने हाल ही में प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट यानी ईसीआइआर दर्ज की है। यह रिपोर्ट पुलिस FIR के समकक्ष होती है।
CBI ने 23 अगस्त को अंबानी के मुंबई स्थित घर और कारोबारी परिसरों की तलाशी भी ली थी।
ईडी के इस नए केस में वही आरोपी शामिल हैं, जिनके नाम CBI की प्राथमिकी में दर्ज हैं।
SBI की शिकायत के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशन पर विभिन्न ऋणदाताओं की कुल देनदारी 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा थी। अकेले SBI को ही 2,929 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
इसी आधार पर अब ईडी मामले की गहनता से जांच कर रही है और अंबानी समूह की कंपनियों के आपसी लेन-देन और संभावित अनियमितताओं की पड़ताल कर रही है।
एजेंसी का कहना है कि –
यह मामला सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि कई (Corporate Loan Scam) से जुड़ा हो सकता है।
गौरतलब है कि CBI की तलाशी के बाद अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा था कि यह मामला दस साल से अधिक पुराना है।
उस समय अंबानी रिलायंस कम्युनिकेशन के केवल गैर-कार्यकारी निदेशक थे और उनकी दिन-प्रतिदिन के संचालन में कोई भूमिका नहीं थी। इसके बावजूद उन्हें चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया गया है।
वहीं SBI ने पांच अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ कार्यवाही पहले ही वापस ले ली थी।
ईडी ने इससे पहले जुलाई 2025 में अंबानी समूह की कई कंपनियों के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
अगस्त के पहले सप्ताह में एजेंसी ने खुद अनिल अंबानी का बयान भी दर्ज किया था।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी अब यह देख रही है कि कहीं कंपनियों से जुड़े पुराने वित्तीय लेन-देन में (Bank Loan Misuse) और मनी लांड्रिंग जैसी गतिविधियां तो नहीं हुई हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि –
मामला आगे और गंभीर हो सकता है क्योंकि ईडी ने जिस पैमाने पर दस्तावेज जब्त किए हैं, उससे साफ है कि जांच लंबी चलेगी।
फिलहाल एजेंसी का ध्यान यह पता लगाने पर है कि आखिरकार किस स्तर पर 2,929 करोड़ रुपये के कर्ज का दुरुपयोग हुआ और इसमें शामिल वास्तविक जिम्मेदार कौन थे।
इस केस ने एक बार फिर भारत में बड़े उद्योगपतियों और सरकारी बैंकों के रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ एक (Enforcement Directorate Action) नहीं बल्कि बैंकिंग सिस्टम में जवाबदेही की बड़ी परीक्षा भी है।