सीजी भास्कर, 11 अगस्त। जमीन की खरीदी-बिक्री में सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले 3 उप पंजीयकों को निलंबित कर दिया गया है। इन पर सरकार को डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है। स्टाम्प शुल्क की छूट में गड़बड़ी और गाइड लाइन दरों के उल्लंन के दोषी पाए गए 3 वरिष्ठ उप पंजीयकों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें से 2 पर रायपुर में पदस्थ रहने के दौरान गड़बड़ी करने का आरोप है, जबकि तीसरे पर दुर्ग में पदस्थाना के दौरान गड़बड़ी करने का आरोप है। इसमें रायपुर का चर्चित 1 ही प्लाट की 3 अलग-अलग लोगों को रजिस्ट्री का मामला भी शामिल हैं। इस पर तत्कालीन उप पंजीयक सुशील देहारी निलंबित किए गए थे। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इस मामले मे कड़ी कार्रवाई की बात कही थी।
वहीं, जमीन की रजिस्ट्री में गड़बड़ी के आरोप में निलंबित की गई वरिष्ठ उप पंजीयक मंजूषा मिश्रा अभी रायपुर में पदस्थ हैं। सुशील देहारी धमतरी और शशिकांता पात्रे पाटन (दुर्ग) में पदस्थ हैं। तीनों के खिलाफ जांच में एक करोड़ 63 लाख रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। अफसरों ने बताया कि तीनों के खिलाफ कार्रवाई विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
वाणिज्यिक कर (पंजीयन) विभाग के विभागीय मंत्री ओ.पी. चौधरी द्वारा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये गये हैं कि आम जनता को किसी प्रकार की असुविधा शासकीय कार्य में नही होनी चाहिए तथा विभाग में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नही किया जाएगा। विभाग के कुछ अधिकारी चुनिन्दा लोगों के साथ मिलकर गलत पंजीयन कर भ्रष्टाचार में लिप्त पाये गये, जिससे शासन को राजस्व की हानि हुई है, ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध निलंबन की कार्यवाही की गई है। राज्य में सुशासन स्थापित करने जांच की कार्यवाही निरंतर चलती रहेगी, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाये जाने का कार्य जारी रहेगा। जो भी अधिकारी, कर्मचारी भ्रष्टाचार की गतिविधियों में संलिप्त पाये जायेंगे उन पर कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी।