सीजी भास्कर, 7 अक्टूबर। देश के जैव विविधता के खजाने में शुमार उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में (Wildlife Conservation) की शानदार मिसाल देखने को मिल रही है। यहां प्राकृतिक समृद्धि अपनी पूरी झलक दिखा रही है। पश्चिमी घाट की विशिष्ट एवरग्रीन फॉरेस्ट जैसी जलवायु मिलने के कारण यहां दुर्लभ और अनोखे वन्यजीव बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इन जंगलों में भारत की कुछ सबसे खास और विलुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षी और स्तनधारी जीव रहते हैं, जो पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
यहां बड़ी संख्या में दिख रहे हैं दुर्लभ जीव
वन विभाग के अनुसार, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 32 से अधिक प्रजाति के स्तनधारी, 40 प्रजाति के सरीसृप और 179 प्रजाति के पक्षी शामिल हैं। यहां मालाबार पाइड हॉर्नबिल, पेरेग्रीन फाल्कन, उड़न गिलहरी, इंद्रधनुषी गिलहरी और ओटर जैसे दुर्लभ जीव देखे जा सकते हैं। उदंती एवं सीतानदी अभ्यारण्य में पश्चिमी घाट जैसे पारिस्थितिक वातावरण होने के कारण (Wildlife Conservation) के अंतर्गत इन जीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह (2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर) के दौरान राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए पर्यटकों और विद्यार्थियों को बर्ड वाचिंग, ट्रैकिंग और जीप सफारी के माध्यम से वनों एवं वन्यप्राणी संरक्षण के बारे में जागरूक किया जा रहा है। मालाबार पाइड हॉर्नबिल और पेरेग्रीन फाल्कन को देखने के लिए 2500 फीट ऊंची ओढ़ एवं आममोरा की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग एवं बर्ड वाचिंग सेशन आयोजित किए जा रहे हैं। स्थानीय गाइड्स आगंतुकों को हार्नबिल संरक्षण एवं संवर्धन के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
तारामंडल की अद्भुत छवियां
इसी प्रकार उड़न गिलहरी और इंद्रधनुषी गिलहरी को देखने के लिए कोयबा इको सेंटर एवं सांकरा इको सेंटर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सीतानदी क्षेत्र में वृहद मात्रा में ये जीव देखे जाते हैं और उनका संरक्षण भी किया जा रहा है। रात में इको सेंटर कोयबा और ओढ़ में टेलिस्कोप एवं कैमरों के माध्यम से स्टार गेजिंग सेशन रखे जा रहे हैं, जिससे तारामंडल की अद्भुत छवियां कैद की जा रही हैं। (Wildlife Conservation) पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्कूली बच्चों के लिए क्विज और पेंटिंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं, जिससे नई पीढ़ी में पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा मिल सके।