सीजी भास्कर, 10 अक्टूबर। लोगों की अजीब आदतें (Trichophagia Rare Medical Case) कई बार बड़ी चिकित्सीय परेशानी में बदल जाती हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला आगरा में सामने आया है, जहां 62 वर्षीय महिला के पेट से 760 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला गया। डॉक्टरों के अनुसार, यह महिला पिछले 50 वर्षों से बाल नोंचकर खा रही थी। आंतों में अवरोध के कारण उसे उल्टी और तेज पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उसे नवदीप हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
बाल नोंचकर खाने की आदत
वरिष्ठ लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. सुनील शर्मा (Trichophagia Rare Medical Case) ने बताया कि मरीज की एंडोस्कोपी कराने पर पेट में बड़ा अवरोध दिखाई दिया। काउंसलिंग के दौरान महिला ने बताया कि उसे 12 वर्ष की उम्र से बाल नोंचकर खाने की आदत है। 27 वर्ष की उम्र में भी उसका ऑपरेशन किया गया था और उस समय भी पेट से बालों का गुच्छा निकाला गया था। इस बार ऑपरेशन के दौरान 760 ग्राम बालों का गुच्छा निकला, जिससे आंतों में रुकावट हो गई थी। ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
आंतों में इकट्ठे होकर बड़ा गुच्छा बना लेते हैं
डॉ. शर्मा के अनुसार, यह समस्या ट्राइकोटिलोमेनिया और ट्राइकोफेजिया नामक मानसिक विकार से जुड़ी होती है। ट्राइकोटिलोमेनिया में व्यक्ति को अपने बाल तोड़ने की आदत होती है, जबकि ट्राइकोफेजिया में बालों को खा लेने की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है। लंबे समय तक यह आदत जारी रहने पर बाल आंतों में इकट्ठे होकर बड़ा गुच्छा बना लेते हैं, जो धीरे-धीरे पेट या आंत को ब्लॉक कर देते हैं।
काउंसलिंग और दवा से इलाज Trichophagia Rare Medical Case
इस प्रकार की स्थिति में अक्सर मरीजों को बार-बार उल्टी, भूख न लगना, और पेट दर्द जैसी शिकायतें होती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जिसे मनोरोग विशेषज्ञ की मदद से रोका जा सकता है। यदि समय रहते ऐसे मरीजों का काउंसलिंग और दवा से इलाज कराया जाए, तो यह खतरनाक आदत पूरी तरह छोड़ी जा सकती है।
डॉ. शर्मा ने यह भी बताया कि मरीज का व्यवहार लंबे समय से इस आदत के नियंत्रण में था, लेकिन मानसिक तनाव और अकेलेपन के कारण यह फिर से शुरू हो गया। यदि इस रोगी का नियमित मनोरोग विशेषज्ञ से इलाज होता रहता, तो शायद यह स्थिति दोबारा नहीं आती। उन्होंने सलाह दी कि जिन बच्चों या युवाओं में बाल नोंचने या खाने की प्रवृत्ति दिखे, उनके परिवार को तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।