सीजी भास्कर, 7 नवंबर | राजधानी रायपुर में चल रहे छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2025 (Chhattisgarh Rajyotsav 2025) में इस बार पुलिस विभाग का पंडाल सबसे अलग नजर आया।
यहां जनता ने पहली बार सरकार को खुलकर अपने सुझाव और शिकायतें लिखीं। 20 फीट लंबे “जनता की बात—आपकी पुलिस के साथ” बोर्ड पर हजारों लोगों ने अपनी बात रखी।
जनता का संदेश—“हाफ बिजली बिल शुरू करो, VIP कल्चर बंद करो”
कुछ ही घंटों में बोर्ड पर करीब 2000 से अधिक संदेश दर्ज हो गए।
किसी ने लिखा “बिजली बिल आधा करो”, तो किसी ने “VIP कल्चर खत्म करो” और “नो टू करप्शन (No To Corruption)” जैसे संदेश छोड़े।
कई युवाओं ने परीक्षाओं की निष्पक्ष जांच, बेरोजगारी पर नियंत्रण और चाकूबाजी जैसी घटनाओं पर रोक लगाने की मांग की।
Chhattisgarh Rajyotsav 2025: शराबबंदी की गूंज, लोगों ने मांगी स्वच्छ समाज की राह
पुलिस पंडाल के जनसंदेश बोर्ड (Public Feedback Board) पर सबसे अधिक बार एक ही मांग दोहराई गई—“शराब बिक्री बंद करो।”
लोगों ने लिखा कि सरकार को शराबबंदी लागू कर परिवार और समाज को नशे से बचाना चाहिए।
इसके अलावा टैक्स देने वालों को राहत, हेलमेट चेकिंग में पारदर्शिता और संविधान की जानकारी को शिक्षा में शामिल करने की बातें भी उभरीं।
अधिकारियों ने खुद पढ़े जनता के सुझाव, बनेगा विश्लेषण रिपोर्ट
राज्योत्सव में पहुंचे पुलिस अधिकारी जनता के बीच पहुंचे और उन्होंने खुद सभी सुझावों को पढ़ा।
Raipur Range Police Officers (Police Officers Raipur) के अनुसार, इन मैसेजों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी,
जिससे आने वाले समय में पुलिस-प्रशासन जन अपेक्षाओं के अनुरूप नीतियों में सुधार कर सके।
Chhattisgarh Rajyotsav 2025: बच्चों से बुजुर्ग तक ने लिखी अपनी बात, ‘सेल्फी विद पुलिस’ रहा आकर्षण का केंद्र
राज्योत्सव का यह पंडाल इस बार सिर्फ प्रदर्शन का नहीं, बल्कि संवाद का मंच बन गया।
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने अपने विचार साझा किए।
“Selfie With Police (Police Interaction Stall)”, साइबर जागरूकता और बैंड परेड जैसे कार्यक्रमों ने माहौल को जीवंत बनाया।
जनता की आवाज़ से गूंजा राज्योत्सव, बदलते छत्तीसगढ़ की झलक
Chhattisgarh Rajyotsav 2025 में पुलिस पंडाल ने यह साबित कर दिया कि शासन और जनता के बीच संवाद सबसे मजबूत कड़ी है।
लोगों ने यह भी जताया कि वे एक सुरक्षित, पारदर्शी और जवाबदेह छत्तीसगढ़ देखना चाहते हैं।
इस पहल ने राज्योत्सव को सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि “जनता की नब्ज़” पहचानने का अवसर बना दिया।
