सीजी भास्कर, 7 नवंबर। बिलासपुर एयरपोर्ट (Bilaspur Airport Land Dispute) को फोर सी कैटेगरी में अपग्रेड करने और नाइट लैंडिंग की सुविधा शुरू करने का रास्ता फिलहाल केंद्र और राज्य सरकार के बीच अटका हुआ है। रक्षा मंत्रालय ने एयरपोर्ट विस्तार के लिए जरूरी 290 एकड़ जमीन के बदले राज्य सरकार से 50 करोड़ रुपये की मांग की है। पहले यह राशि 72 करोड़ रुपये तय की गई थी, जिसे मंत्रालय ने जनहित को देखते हुए 22 करोड़ रुपये घटा दी है। अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि वह यह जमीन लेना चाहती है या नहीं, और अगली सुनवाई से पहले जवाब पेश करने को कहा है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में बिलासपुर एयरपोर्ट (Bilaspur Airport Land Dispute) से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने हवाई सुविधा विस्तार और नाइट लैंडिंग की प्रक्रिया में हो रही देरी पर नाराजगी जताई। मुख्य सचिव विकासशील ने शपथपत्र के साथ बताया कि डीवीओआर स्थापना और प्रारंभिक जांच का काम पूरा हो चुका है। अब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के अधिकारी 10 से 12 नवंबर के बीच निरीक्षण के लिए बिलासपुर पहुंचेंगे। निरीक्षण के बाद राज्य सरकार डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से नाइट लैंडिंग की अनुमति के लिए आवेदन कर सकती है।
केंद्र सरकार के डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि रक्षा मंत्रालय ने तीन नवंबर को राज्य सरकार को नया प्रस्ताव भेजा है। इसमें 290 एकड़ जमीन के बदले 50 करोड़ रुपये मांगे गए हैं। पहले यह राशि 72 करोड़ रुपये थी। जनहित को देखते हुए राशि 22 करोड़ घटाई गई है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने सरकार का पक्ष रखने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया।
हाई कोर्ट ने हवाई सुविधा विस्तार में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बिलासपुर जैसे बड़े शहर को फोर सी कैटेगरी और महानगरों से कनेक्टिविटी पहले ही मिल जानी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के रवैये से लगता है कि इस दिशा में पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की गई है।
एमओयू के अनुसार ही उड़ानें चलाई जा रही (Bilaspur Airport Flight Schedule)
वहीं, विमानन कंपनी अलायंस एयर ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के साथ हुए एमओयू के अनुसार ही उड़ानें चलाई जा रही हैं। सप्ताह में केवल सोमवार से गुरुवार के बीच फ्लाइट संचालन किया जाता है ताकि विमानों का मेंटेनेंस हो सके। इस पर अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने विरोध जताते हुए कहा कि पहले सप्ताह में छह दिन चलने वाली दिल्ली-बिलासपुर उड़ानें घटकर केवल तीन दिन रह गई हैं, और बिलासपुर-जगदलपुर की उड़ान पूरी तरह बंद है।
कोर्ट ने कहा कि यदि तकनीकी कारणों से उड़ानों की संख्या घटाई गई है, तो कंपनी को मजबूर नहीं किया जा सकता। डिवीजन बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इस मामले में समन्वय बनाकर तत्काल निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा जमीन हस्तांतरण को लेकर भेजे गए प्रस्ताव और नाइट लैंडिंग की प्रगति रिपोर्ट अगली सुनवाई में पेश की जाए।
