छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व (Indravati Tiger Reserve) अब तकनीक के नए दौर में कदम रख चुका है। यहां बाघों की गणना और पहचान अब (AI Tiger Identification) तकनीक से की जाएगी।
पहले जहां यह प्रक्रिया कैमरा ट्रैप और मैन्युअल डेटा एनालिसिस पर निर्भर थी, वहीं अब मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग एल्गोरिद्म के ज़रिए हर बाघ की धारियों के पैटर्न को पढ़कर उसकी डिजिटल पहचान (Digital Tiger ID) तैयार की जाएगी।
अब जंगल की हर हरकत समझेगा ‘Artificial Intelligence’
इंद्रावती टाइगर रिजर्व के निदेशक सुदीप बलगा ने बताया कि नया सिस्टम सिर्फ डेटा नहीं पढ़ता, बल्कि अब यह जंगल की भाषा भी “समझने” लगा है।
यह एआई मॉडल मौसम, पर्यावरण, मानव गतिविधियों और पुराने शिकार के रिकॉर्ड का विश्लेषण कर यह अनुमान लगाता है कि किस क्षेत्र में शिकार की संभावना (Poaching Prediction) अधिक है।
इससे न केवल बाघों की सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि वनकर्मियों की तैनाती और गश्त प्रणाली भी अधिक प्रभावी बन जाएगी।
पहले कैमरा ट्रैप, अब ‘Smart AI Surveillance’ करेगा निगरानी
2018 में जब देश में पहली बार एआई आधारित तकनीक का उपयोग शुरू हुआ था, तब यह केवल कैमरा ट्रैप की छवियों को पहचानने तक सीमित था।
अब विकसित सिस्टम में ट्रेलगार्ड एआई (Trailguard AI System) और पास (Protection Assistant for Wildlife Security – PASS App) जैसे टूल्स जोड़े गए हैं।
ये उपकरण जंगल के भीतर लगी कैमरा यूनिट से 30–40 सेकंड के भीतर (Real-Time Wildlife Monitoring) अलर्ट भेज देते हैं, जिससे तुरंत कार्रवाई संभव होती है।
कैसे काम करता है नया एआई सिस्टम
यह पूरा सिस्टम तीन चरणों में कार्य करता है —
ट्रेलगार्ड एआई सिस्टम – सेंसर किसी भी संदिग्ध मूवमेंट को पकड़ते हैं और वन अधिकारियों को तत्काल सूचना देते हैं।
पास एप (PASS App) – यह एप वनकर्मियों के लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावी गश्त मार्ग (Patrol Route Optimization) तय करता है।
ह्यूमन-टाइगर कॉन्फ्लिक्ट प्रिवेंशन – यदि कोई बाघ मानव बस्तियों के करीब पहुंचता है तो यह तुरंत चेतावनी (Early Warning Alert) जारी कर देता है।
स्थानीय युवाओं को मिला ‘Eco-Warrior’ का जिम्मा
माओवादी प्रभाव कम होने के बाद अब रिजर्व के कोर क्षेत्र में सर्वेक्षण फिर से शुरू हो चुका है।
हाल में कैमरा ट्रैप में कई नए बाघों और शावकों की तस्वीरें मिली हैं। वन विभाग ने प्रत्येक बाघ का डिजिटल प्रोफाइल बनाना शुरू कर दिया है।
स्थानीय युवाओं को ‘Eco-Warrior’ के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो मोबाइल एप के माध्यम से (Wildlife Conservation with AI) से जुड़ी रिपोर्ट — जैसे पगमार्क, स्कैट और मूवमेंट डेटा — साझा करेंगे।
भविष्य के लिए बड़ा कदम: जनवरी 2026 से शुरू होगी नई गणना
विभागीय सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2026 से एआई आधारित बाघ गणना औपचारिक रूप से शुरू की जाएगी।
इस नई प्रणाली के आने से बाघों की सुरक्षा, शिकार रोकथाम और डेटा की सटीकता पहले से कहीं अधिक बढ़ जाएगी।
यह कदम छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण मिशन में एक ऐतिहासिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
