सीजी भास्कर 28 नवंबर ओडिशा विधानसभा का छोटा-सा कमरा नंबर 11, जिसे अब Room No.11 Odisha Assembly कहा जा रहा है, गुरुवार को अचानक फिर सुर्खियों में आ गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु यहां पहुंचीं, तो यह जगह सिर्फ एक कमरा नहीं रही—बल्कि बीते दो दशकों की पुरानी यादें जैसे अंदर ही ठहर गईं। मंत्री के रूप में उनके शुरुआती दिनों का यह वही दफ्तर था, जिसका दरवाज़ा उन्होंने वर्षों बाद दोबारा खोला।
Room No.11 Odisha Assembly: बदला हुआ कमरा, लेकिन यादें वही
नवीनीकरण के बाद भी कमरे की पहचान जस की तस
यह कमरा आज किसी वरिष्ठ अधिकारी को आवंटित (allotted) है, लेकिन हाल का नवीनीकरण—नई टाइलें, नया लेमिनेशन, ताज़ा फर्नीचर और बदली हुई कारपेट—कमरे को जरूर संवार चुका है। इसके बावजूद, राष्ट्रपति जब यहां खड़ी थीं, तो उनकी मुस्कान बता रही थी कि Room No.11 Odisha Assembly ने उनका सफर कहीं नहीं भुलाया। उन्होंने उन विधायकों से भी बातचीत की, जो कभी उनके साथ मंत्रीमंडल में कार्य कर चुके थे।
पूर्व सहयोगियों के साथ अनौपचारिक बातें
पुराने दिनों की चर्चा और बीते समय की झलक
कमरा नंबर 11 में राष्ट्रपति से मुलाकात करने वालों में कई वरिष्ठ विधायिका व पूर्व सहयोगी भी थे। अनौपचारिक बातचीत के दौरान पुरानी चुनौतियों, उपलब्धियों और उन दिनों की कार्यशैली पर बातें हुईं। एक स्टाफ सदस्य से भी उन्होंने मुलाकात की—वह वही कर्मचारी था, जिसने उनके मंत्रालय के समय उन्हें प्रतिदिन सहायता दी थी। यह दृश्य कमरे की पुरानी खुशबू और उनके शुरुआती राजनीतिक जीवन का यादगार मेल जैसा था।
राजनीतिक सफर की शुरुआत यहीं से
2000 में पहली बार विधायक बनी थीं मुर्मु
सुदूर उपरबेड़ा गांव (मयूरभंज) से निकली द्रौपदी मुर्मु ने एक स्कूल शिक्षिका से नेता बनने तक का सफर बेहद सामान्य जीवन के बीच तय किया। 1997 में नगर निकाय चुनाव लड़ने के बाद, साल 2000 में वह पहली बार विधानसभा पहुंचीं, और यहीं से Room No.11 Odisha Assembly उनके सार्वजनिक जीवन का पहला बड़ा पड़ाव बना।
यही वह समय था, जब उन्हें वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य और पशु संसाधन विकास जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिली।
Room No.11 Odisha Assembly: उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार से राष्ट्रपति तक का सफर
जनसेवा की शैली आज भी वही—सादगी और संतुलन
2004 में दोबारा जीत, 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक का सम्मान और इसके बाद जनसेवा का लंबा अध्याय—इन सबने मिलकर उनके भीतर उस नेतृत्व को गढ़ा, जिसे आज पूरा देश सम्मान देता है। विधानसभा में अपने संबोधन में उन्होंने दोबारा कहा कि जनप्रतिनिधि चाहे किसी भी पद पर हो, उनके शब्द और आचरण समाज को दिशा देते हैं।
इस संदेश के साथ, उन्होंने ओडिशा की राजनीति में अपने शुरुआती दिनों की एक शांत, भावनात्मक और ईमानदार याद को फिर से जगा दिया।
Room No.11 Odisha Assembly: कमरे की दीवारें आज भी उनकी कहानी कहती हैं
कमरा सिर्फ एक जगह नहीं, एक इतिहास है
कमरा नंबर 11 भले छोटा है, लेकिन यहां की दीवारें, पुरानी मेज, गलियारे की हल्की गंध और उन दिनों की हलचल—सब आज भी उनके कदमों को पहचानते हैं। शायद इसी वजह से राष्ट्रपति कुछ पलों के लिए वहां रुकीं, इधर-उधर देखा और मन ही मन उस दौर को महसूस किया, जिसने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया।
