सीजी भास्कर, 28 नवंबर। रायपुर में सूदखोरी और वसूली के आरोपों में घिरे वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर मामले में अब एक बड़ा खुलासा (Raipur Honey Trap Case) हुआ है। जांच में सामने आया है कि दोनों भाई न सिर्फ सूदखोरी चलाते थे, बल्कि एक हनी-ट्रैप गैंग भी ऑपरेट करते थे। इस गैंग के जरिए वे व्यापारियों को जाल में फंसाकर भारी रकम वसूलते थे।
पहले दोस्ती, फिर नशा, उसके बाद हनी-ट्रैप
सूत्रों के अनुसार तोमर भाइयों का गैंग पहले कारोबारियों की रेकी करवाता था। इसके बाद उनके गुर्गे कारोबारियों से दोस्ती बढ़ाते, उन्हें नशे की लत लगवाते और फिर होटलों-पब में ले जाकर अश्लील वीडियो रिकॉर्ड करते थे। इन्हीं वीडियो के आधार पर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू होता था, जिसने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी।
सराफा व्यापारी हनी-ट्रैप का शिकार
एक सराफा व्यापारी ने खुलासा किया कि वह इस गैंग का शिकार (Raipur Honey Trap Case) बना। उसके मुताबिक कि शुरुआत 5000 रुपए रोज की वसूली से हुई, जो बढ़ते-बढ़ते 2 लाख रुपए प्रतिदिन तक पहुंच गई। पीड़ित ने एक साल में 5 लाख के लोन पर 1.5 करोड़ रुपए तक दे डाले—सिर्फ अपनी जान और परिवार को बचाने के लिए।
पीड़ित सामने क्यों नहीं आ रहे
ऐसे कई पीड़ित हैं, लेकिन वे दो वजहों से पुलिस के सामने आने से डर रहे हैं कि बदनामी का डर और तोमर भाइयों के छूटने पर जान का खतरा। इस खुलासे के बाद पुलिस अब हनी-ट्रैप और ब्लैकमेलिंग के इस बड़े नेटवर्क की भी गहराई से जांच कर रही है।
