सीजी भास्कर, 24 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के मध्यान्ह भोजन में बच्चों को अंडा नहीं दिया जा रहा है जबकि मेन्यू में अंडा देने का प्रावधान है। प्रदेश के कई जिलों से खबरें आई है कि प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला में बच्चों की थाली से अंडा गायब है। प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला स्कूलों में मध्यान्ह भोजन से गायब अंडा के विषय में लोगों की मानें तो बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के अंबिकापुर, सरगुजा, बलरामपुर सहित कई जगहों से अंडा न दिए जाने की खबरें सामने आने के बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है। इस मामले में भाजपा नेता ने कहा कि बहुत सारे पालकों और जनप्रतिनिधियों की मांग थी कि बच्चे शाकाहारी हैं इसलिए अंडे न दिए जाए, इसलिए बहुत से स्कूलों में नहीं दिए जा रहें हैं।
अंबिकापुर जिला मुख्यालय के 8 किलोमीटर के दायरे में संचालित प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला स्कूलों में मध्यान्ह भोजन से अंडा गायब हो चुका है जिसकी वजह से बच्चों को पौष्टिक भोजन से दूर नजर आ रहे हैं। यहां प्राइमरी और माध्यमिक शाला स्कूलों में एनजीओ के माध्यम से सेंट्रलाइज किचन का संचालन किया जा रहा है, इस एनजीओ के माध्यम से बच्चों को बुधवार के दिन दिए जाने वाला अंडा थाली से गायब नजर आया। स्कूल के प्रधान पाठक भी बता रहे हैं कि इस साल के शिक्षा सत्र से बच्चों को पौष्टिक भोजन के तौर एक अंडा दिया जाता था, उसे बंद कर दिया गया है। जिले के शिक्षा अधिकारी ने बताया कि एनजीओ के द्वारा दिए जा रहे मध्यान्ह भोजन में अंडा शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि अंडा देने की वजह से अतिरिक्त भार पड़ता है। दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों की स्कूलों में मध्यान्ह भोजन में अंडा दिया जा रहा है और जो भी संभव हो सकता है, वह बच्चों को खिलाया जाता है।
जानकारी मिली है कि मध्यान्ह भोजन के लिए सामग्री की सप्लाई का जिम्मा अलग अलग महिला स्वयं सहायता समूहों को दी गई है, जो सरकार द्वारा निर्धारित मेन्यू को दरकिनार करते हुए अपनी सुविधा के अनुसार स्कूलों मे सामग्री की सप्लाई कर रहें है जिसके कारण बच्चों की थाली से पौस्टिक आहार गायब हो चुका है और बच्चों को मध्यान्ह भोजन में सिर्फ दाल चावल और आलू सोयाबीन की बड़ी खिलाई जा रहीं है, हरी सब्जी के नाम पर महज खाना पूर्ति किया जा रहा है, स्कूलों में खाना बनाने वाली रसोइए का कहना है कि समूह द्वारा जो सामग्री उनको उपलब्ध कराई जाती है उसी को ही बनाकर बच्चों को खिलाया जा रहा है।
गौरतलब हो कि मध्यान्ह भोजन मे अंडे दिए जाने की योजना का भी धरातल पर आज तक क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। अक्टूबर 2023 में छत्तीसगढ़ की पूर्व सरकार और अजीम प्रेमजी नाम की एक प्राइवेट संस्था के बीच मे एक एमयू हुआ था, जिसमें संस्था द्वारा सप्ताह मे एक दिन जिले के सरकारी स्कूलों मे दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन मे अंडा को भी शामिल करना था जो आज तक सिर्फ हवा हवाई ही बनकर रह गया। इसके आलावा सरकारी मेन्यू में प्रत्येक शनिवार की मीठा भोजन यानि खीर पूड़ी भी दिया जाना था। मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला समूहों की महिलाओं ने बताया कि मेनू के अनुसार हर रोज भोजन बनाया जाता है जिसमें दाल चावल सब्जी हर रोज होती है। सप्ताह में एक बार खीर परोसी जाती है। बच्चो को चना गुड़ भी दिया जाता है लेकिन फल महंगे होने की वजह से नहीं दिए जाते, इसके आलावा अंडे परोसने का भी कोई प्रावधान नहीं है। खाना बनाने वाली महिलाओं का कहना है कि अंडा दिए जाने का मेन्यू में भी कोई प्रावधान नहीं है। उनकी जानकारी के अनुसार स्कूल में अंडा कभी भी नहीं दिया गया। वहीं स्कूल के बच्चों ने बताया कि भोजन तो अच्छा रहता है लेकिन मेनू के अनुसार नहीं रहता स्कूल के टीचर जो कहते हैं वही भोजन बनाया जाता उन्हें चना गुड़ कभी कभी मिलता है। सप्ताह में एक बार खीर दी जाती है, साथ ही साथ बच्चों का कहना है कि उन्हें अंडा कभी भी नहीं दिया गया।
मध्यान्ह भोजन में अंडा न देने को लेकर भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा बहुत सारे पालकों और जनप्रतिनिधियों की मांग थी कि बच्चे शाकाहारी हैं इसलिए अंडे न दिए जाएं, इसलिए बहुत से स्कूलों में नहीं दिए जा रहें हैं। फिर भी जहां ऐसी मांग नहीं थी और अंडे नहीं दिए जा रहे हैं उसकी सरकार समीक्षा करेगी और मुहैया कराएगी हालांकि फिलहाल ऐसी शिकायत नहीं है।