सीजी भास्कर, 25 नवंबर। अंग्रेजी कैलेंडर में जहां 1 जनवरी को नए साल (Adhik Maas 2026) की शुरुआत मानी जाती है, वहीं हिंदू परंपरा में समय की गणना विक्रम संवत के आधार पर की जाती है। वर्तमान में विक्रम संवत का 2082 वर्ष चल रहा है। इस पंचांग (Hindu Calendar 2026) के अनुसार नया वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है और फाल्गुन मास वर्ष का अंतिम महीना माना जाता है।
आने वाला वर्ष 2026 विक्रम संवत पंचांग की दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है। इस वर्ष अधिकमास (Adhik Maas 2026) पड़ने वाला है, वह भी ज्येष्ठ (जेठ) माह के रूप में। इसका अर्थ है कि 2026 में एक नहीं बल्कि दो-दो ज्येष्ठ माह रहेंगे एक सामान्य ज्येष्ठ और एक अधिक ज्येष्ठ। अधिकमास जुड़ने के बाद ज्येष्ठ माह का समय लगभग 58–59 दिनों तक रहेगा। अधिकमास जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas) भी कहा जाता है, धार्मिक कर्मों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसी वजह से विक्रम संवत 2083 में 13 महीने होंगे।
कब से कब तक रहेगा अधिकमास (Adhik Maas 2026)
अधिकमास प्रारंभ : 17 मई 2026
अधिकमास समाप्त : 15 जून 2026
सामान्य ज्येष्ठ माह : 22 मई से 29 जून 2026
जब पंचांग में किसी महीने की अवधि दो बार आती है, तो उस अतिरिक्त महीने को अधिकमास या पुरुषोत्तम मास (Malmas) कहा जाता है। यह अतिरिक्त महीना लगभग हर 32 माह 16 दिन में बनता है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवधि में दान, जप, तप और पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
क्यों आता है अधिकमास
हिंदू पंचांग में सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है। चंद्र माह सूर्य की तुलना में छोटा होने के कारण यह अंतर हर वर्ष बढ़ता जाता है। इसी अंतर को संतुलित करने के लिए लगभग हर तीसरे वर्ष एक अतिरिक्त महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिकमास (Adhik Maas) कहा जाता है। इससे पंचांग का समय-चक्र फिर से संतुलित हो जाता है।
