इलाहाबाद , 09 मई 2025 :
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाये गए पोक्सो एक्ट को लेकर टिप्पणी की है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, पोक्सो एक्ट अब उनके शोषण का साधन बन गया है. दरअसल कोर्ट ने एक मामले में आरोपित की जमानत मंजूर करते हुए कहा किशोरों के बीच प्रेमपूर्ण सहमति से बना रोमांटिक संबंध अपराधीकरण के लिए यह कानून नहीं है.
कोर्ट ने कहा, यदि पीड़िता के बयान को नजरअंदाज कर दिया जाए और आरोपित को जेल में सजा भोगने के लिए छोड़ दिया जाए तो ये उसके साथ अन्याय होगा. कोर्ट ने आरोपी राज सोनकर की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. मामले की सुनवाई जस्टिस कृष्ण पहल की सिंगल बेंच में हुई. जहां कोर्ट ने युवक की जमानत मंजूर कर ली.
सहमति से संबंध बनाना अपराध नहीं- हाई कोर्ट
उत्तर प्रदेश के चंदौली के चकिया थाने में आरोपित 18 वर्षीय लड़के के खिलाफ 16 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 137(2), 87, 65(1) और पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है. जिसके बाद 7 मार्च 2025 को आरोपी की गिरफ्तारी की गई.
कोर्ट ने दलील दी कि मामला सहमति से संबंध बनाने का है और घटना की कोई मेडिकल पुष्टि नहीं हुई है. एफआईआर दर्ज करने में 15 दिन की देरी का कारण नहीं है. याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा. कोर्ट ने तथ्यों, परिस्थितियों और रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों और एफआईआर दर्ज करने में 15 दिनों की अत्यधिक देरी का संज्ञान लिया है. कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना जमानत मंजूर कर ली.