सीजी भास्कर 28 जुलाई
पटना:
बिहार की राजनीति में इन दिनों ₹71,000 करोड़ के कथित घोटाले को लेकर भूचाल मचा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार सरकार को घेरते हुए बड़ा सवाल उठाया है—”ये फंड कहां गया, किसकी जेब में गया?”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सरकार जनता को मटन, मछली और मुसलमान जैसे मुद्दों में उलझाकर असल सवालों से भटका रही है, जबकि असली सवाल ये है कि 2016 से 2024 के बीच खर्च हुए ₹70,877 करोड़ का हिसाब अब तक नहीं दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
CAG (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार ने वर्ष 2016-17 से लेकर 31 मार्च 2023 तक की अवधि में ₹70,877.61 करोड़ की सरकारी राशि खर्च की, लेकिन उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utilization Certificate) आज तक जमा नहीं किया गया।
CAG की रिपोर्ट विधानसभा के मानसून सत्र में पेश हुई, जिससे साफ हुआ कि कई विभागों ने सालों तक फंड खर्च का कोई हिसाब नहीं दिया। यह गंभीर वित्तीय लापरवाही मानी जा रही है और भ्रष्टाचार की गंध से इनकार नहीं किया जा सकता।
किन विभागों पर है सबसे बड़ा सवाल?
CAG रिपोर्ट में पांच विभागों को इस घोटाले के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराया गया है:
- पंचायती राज विभाग – ₹28,154.10 करोड़
- शिक्षा विभाग – ₹12,623.67 करोड़
- शहरी विकास विभाग – ₹11,065.50 करोड़
- ग्रामीण विकास विभाग – ₹7,800.48 करोड़
- कृषि विभाग – ₹2,107.63 करोड़
तेजस्वी का तीखा हमला
तेजस्वी यादव ने मीडिया और सोशल मीडिया दोनों माध्यमों से सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि,
“यह सरकार आपकी जागीर नहीं है। ये जनता की गाढ़ी कमाई है, और जनता को जवाब चाहिए।“
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि एक ओर सरकार हजारों करोड़ का हिसाब नहीं देती, और दूसरी ओर जनता का ध्यान बांटने के लिए जाति, धर्म और खानपान जैसे मुद्दों में उलझा देती है।
आगे क्या?
इस कथित घोटाले को लेकर विपक्ष सड़क से सदन तक हंगामा कर रहा है। अब निगाहें नीतीश सरकार और जांच एजेंसियों पर हैं कि क्या इस गड़बड़ी की निष्पक्ष जांच होगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।