सीजी भास्कर, 6 अगस्त 2025 : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि अब परंपरागत बीजों के संरक्षण के लिए छोटे किसानों से भी अनुबंध किया जाएगा, ताकि उन्हें भी इस प्रक्रिया से मुनाफा मिल सके। वह नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की मंशा सहकारी समितियों को केवल सामाजिक संगठनों तक सीमित रखने की नहीं है, बल्कि उन्हें व्यावसायिक और प्रतिस्पर्धी इकाइयों में बदलने की भी है।
अगले पांच वर्षों में दो लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से अब तक 35,395 समितियां बन चुकी हैं। इनमें कृषि ऋण, डेरी, बीज और जैविक उत्पादों से जुड़ी समितियां भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड बीजों के संरक्षण, संग्रहण एवं उत्पादन का कार्य कर रही है और अब छोटे किसान भी इससे सीधे जुड़ेंगे।
शाह ने बताया कि भूमिहीन और पूंजीविहीन व्यक्तियों के लिए सहकारिता क्षेत्र ही सबसे बड़ा अवसर है। सरकार ने हाल के वर्षों में तीन बड़ी बहु राज्यीय सहकारी समितियां बनाई हैं। पहली जैविक उत्पादों के लिए, दूसरी बीज क्षेत्र के लिए और तीसरी निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए है। इनमें राष्ट्रीय सहकारी आर्गेनिक लिमिटेड किसानों के जैविक उत्पादों की प्रमाणिकता और मार्केटिंग सुनिश्चित करती है, जबकि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने में सहायता करती है। इन प्रयासों से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलने लगा है।
बैठक में अमित शाह ने समिति के सदस्यों से अपील की कि वे अपने-अपने राज्यों में डेरी क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए विशेष प्रयास करें। उन्होंने कहा कि ‘श्वेत क्रांति 2.0’ के तहत अगले पांच वर्षों में सहकारी समितियों के माध्यम से देश का 50 प्रतिशत दूध संग्रह करने का लक्ष्य है। अभी तक 15,691 नई डेरी सहकारी समितियां पंजीकृत हो चुकी हैं, जबकि 11,871 मौजूदा समितियों को और मजबूत किया गया है।
राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड और 15 राज्यों की 25 मिल्क यूनियनों ने डेरी समितियों में बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत भी सुलभ होंगे। सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के लिए हाल ही में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। यह सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण की सशक्त प्रणाली विकसित करेगी, जिससे क्षेत्र को कुशल मानव संसाधन मिल सकेगा। अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सहकारी नीति-2025 देश में सतत सहकारी विकास का रोडमैप है। इसमें सहकारिता क्षेत्र को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और राष्ट्रीय डेरी विकास कार्यक्रम जैसी योजनाओं से जोड़ा गया है, जिससे जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव और व्यापक हो सके।