सीजी भास्कर, 5 अक्टूबर। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने दो दिवसीय दौरे पर पटना पहुंची निर्वाचन आयोग की टीम ने शनिवार को राजनीतिक दलों के साथ बैठक की। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी ने कुल 12 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से सुझाव लिए।
बैठक में बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल भी मौजूद थे। इस दौरान राजग के प्रमुख घटक भाजपा और जदयू ने आयोग से महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी एक चरण में चुनाव संपन्न कराने (Bihar Assembly Election Voting) का सुझाव दिया। वहीं, सभी दलों ने छठ पूजा के तुरंत बाद मतदान संपन्न कराने की मांग की।
दलों के बीच मतभेद
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की अगुवाई में चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए गए 12 बिंदुओं में सबसे अहम था – धार्मिक स्थलों से मतदान केंद्र (Bihar Assembly Election Voting) हटाना और एक चरण में मतदान कराना। भाजपा ने साथ ही यह भी कहा कि बुर्का पहनकर, पर्दानशीं या किसी भी तरह से ढके चेहरे वाले मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने के बाद ही मतदान की अनुमति दी जानी चाहिए। वहीं, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सवाल उठाया कि जब महाराष्ट्र में एक चरण में चुनाव हो सकते हैं तो बिहार में क्यों नहीं?
दूसरी ओर विपक्षी दलों ने अलग रुख अपनाया। राजद और कांग्रेस ने आयोग से कहा कि मतदाता सूची से हटाए गए नामों को सार्वजनिक किया जाए और यदि दो चरणों में चुनाव कराए जाते हैं तो बेहतर होगा। कांग्रेस ने आयोग से घुसपैठियों की सूची अलग से प्रकाशित करने की भी मांग की।
आयोग के समक्ष रखे गए मुद्दे
बैठक में राजद के अभय कुशवाहा और चित्तरंजन गगन, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, आप, बसपा, सीपीआई, सीपीएम, एनपीपी, सीपीआईएमएल, एलजेपी (रामविलास), आरएलजेपी और आरएलएसपी के प्रतिनिधियों ने भी अपने सुझाव दिए। विपक्ष ने भाजपा की बुर्का जांच की मांग को अनर्गल करार दिया और कहा कि यह मतदाताओं के अधिकारों के खिलाफ है।
सूत्रों के अनुसार, आयोग को दिए गए सुझावों पर विचार करने के बाद जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस बार बिहार चुनाव छठ पूजा (Bihar Assembly Election Voting) के ठीक बाद कराए जाएंगे ताकि मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित हो सके।